राजनारायण ने जीवनभर लड़ी समाज में बराबरी की लड़ाई: रघु ठाकुर

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): समाजवादी चिंतक एवं विचारक रघु ठाकुर ने कहा है कि महान समाजवादी नेता राजनारायण फक्कड़ स्वभाव के थे और वह जीवनभर समाज में बराबरी लाने तथा लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए लड़ते रहे। ठाकुर ने गुरुवार को यहां गांधी शांति प्रतिष्ठान में ‘राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है’ के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राजनारायण का पूरा जीवन संघर्ष में बीता।

पहले आजादी के लिए संघर्ष किया, फिर समाजवाद के लिए लड़े और अंतिम दिनों में अपनों से संघर्ष किया। पुस्तक राजनारायण के शिष्य समाजवादी चिंतक शाहनवाज हुसैन कादरी ने लिखी और पत्रकार ओम पीयूष ने इसका संपादन किया। लोकार्पण समारोह का आयोजन लोकबंधु राजनारायण के लोग ट्रस्ट ने किया। उन्होंने कहा कि महान नेता राजनाराण किस तरह से लोकतंत्र के प्रहरी थे और लोकतंत्र की मजबूती के लिए वह किस तरह काम करते रहे इसका उदाहरण डॉ राममनोहर लोहिया का वह प्रसिद्ध वाक्य है जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक राजनाराण हैं तब तक लोकतंत्र कोई बाल बांका नहीं कर सकता।

ठाकुर ने देश की वर्तमान राजनीतिक दिशा पर चिंता जताई और कहा “आज स्थिति बदल गई है। आजादी में शामिल रहे लोगों का इतिहास आज दबा दिया गया है और राजनेताओं में समानता की भूख की बजाय परिवारवाद की भूख पैदा हो गई है। यदि समानता की भूख नहीं होगी तो देश को लोहिया, मधुलिमए और राजनारायण जैसे लोग समाज में पैदा नहीं होंगे। पूंजीवाद से कोई नहीं लड़ रहा है बल्कि जातीय संगठन खुद एक दल बनते जा रहे और यह संविधान और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है।”

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है। उनका कहना था कि राजनारायण समाजवादी, बुद्धिजीवी एवं राजनीतिज्ञ, अन्याय के खिलाफ़ संघर्षशील योद्धा तथा सत्याग्रही थे। स्वतंत्रता सेनानी से लेकर लोकबन्धु तक की उनके जीवन की यात्रा अविस्मरणीय है। हैदराबाद से आए वरिष्ठ समाजवादी चिंतक-विचारक एवं पूर्व न्यायाधीश ठाकुर गोपाल सिंह ने कहा कि राजनारायण समाजवाद को राष्ट्र की प्रगति का एक प्रधान कारण मानते थे और वह दलितों को मुख्यधारा से जोड़कर समाज और राष्ट्र का विकास चाहते थे।

पूर्व सांसद उबैदल्लाह खान आजमी ने कहा “देश में कुछ लोग हिन्दु मुस्लिम, कुछ अपने गांव शहर, स्कूल, कुछ लोग अपनी सियासत,धर्म और धर्मनिरपेक्षता से पहचाने जाते हैं लेकिन राजनारायण के नाम से बनारस से लेकर पूरा हिन्दुस्तान पहचाना जाता है। उनके नाम से जम्हूरियत और सेक्यूलरिज्म पहचाना गया।”

-एजेंसी/वार्ता

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