आधे से अधिक छोटी-मझोली इकाइयों को नए ऑर्डर प्राप्त करने में कठिनाई: सर्वे

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): कोरोना महामारी (कोविड-19) के बाद बाजार में अब स्थायित्व का वातावरण बनने के बावजूद देश में सूक्ष्म, लघु और मझोले क्षेत्र की 57 प्रतिशत इकाइयों को अपने माल के लिए नए आर्डर प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह जानकारी एक ताजा सर्वे रिपोर्ट में दी गयी है। सर्वे के अनुसार पूंजी की कमी, आसन्न संकटों तथा कोविड-19 के कारण पिछले दो वर्ष तक आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं के बरकार रहने से ऐसी इकाइयों के लिए जोखिम अधिक हैं।

भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (बीवाईएसटी) की सामाजिक आर्थिक पहल के तहत 12 राज्यों के 20 शहरों में सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर उद्यमियों के स्वामित्व वाली लगभग 5,685 एमएसएमई इकाइयों के बीच किए गए इस सर्वे के आधार पर जारी रिपोर्ट के अनुसार “इनमें से कम से कम 57 प्रतिशत इकाइयां, अपने माल के लिए नए ऑर्डर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ” यह अध्ययन अक्टूबर 2022 में सम्पन्न कराया गया।

बीवाईएसटी की विज्ञप्ति के अनुसार , “उपभोक्ताओं की कम क्रय शक्ति के कारण मांग कम हो जाती है और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के साथ उच्च परिवहन लागत के कारण कच्चे माल की लागत में वृद्धि पिछले 27 महीनों के दौरान उद्यमियों के सामने आने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है।”

रिपोर्ट के अनुसार महामारी का सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का डिजिटलीकरण रहा है। लगभग 40 प्रतिशत उद्यमियों ने कहा कि उन्होंने कच्चे माल की व्यवस्था करने और अपने उत्पादों के विपणन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से फेसबुक और व्हाट्सएप का उपयोग करना शुरू कर दिया है।

सर्वे के अनुसार लगभग 27 प्रतिशत उद्यमियों का कहना है कि उन्हें अपनी ऋण किश्तों को समय पर चुकाने में कठिनाई होती है जबकि अन्य 20 प्रतिशत को उत्पादन के लिए कच्चे माल की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रही है। उनमें से कम से कम नौ प्रतिशत के लिए उत्पादन की बढ़ी हुई लागत भी चिंता का एक स्रोत बनकर उभरी है।

इसके अनुसार 14 प्रतिशत महिला उद्यमियों को महिलाओं के रूप में अपना व्यवसाय संचालित करने में कठिनाई हो रही है। ऐसी महिला उद्यमियों में से 72 ने कहा कि उन्हें अपने उत्पादों के विपणन में और 26 प्रतिशत ने उधार की वसूली में दिक्कतों का सामना करने की बात की। रिपोर्ट अनुसार महिला उद्यमियों को विशेष सलाह और कौशल विकास की आवश्यकता है।

भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (बीवाईएसटी) की संस्थापक और प्रबंध न्यासी लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन ने कहा, यह भारत की आर्थिक मूल्य शृंखला में जमीनी स्तर के उद्यमियों और उनके उद्यमों को एकीकृत करने की महत्वपूर्णता और तात्कालिकता पर प्रकाश डालता है।

इस अध्ययन में शामिल शहरों में फरीदाबाद और गुरुग्राम (हरियाणा), सीकर (राजस्थान), ऊधम सिंह नगर (उत्तराखंड), रायगढ़, भुवनेश्वर और जाजपुर (ओडिशा), रांची (झारखंड), चेन्नई (तमिलनाडु), हैदराबाद (तेलंगाना), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), पुणे, औरंगाबाद, वर्धा, सतारा, कराड, सांगली कोल्हापुर (महाराष्ट्र), डिब्रूगढ़ (असम) और नई दिल्ली शामिल हैं।

-एजेंसी/वार्ता

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