कश्मीर में दहशत से भरा रहा था मोहित रैना का बचपन, एक्टर ने किया चौंकाने वाला खुलासा

मोहित रैना टीवी के पॉपुलर एक्टर हैं. मोहित रैना को सीरियल ‘देवों के देव महादेव’ और ‘महाभारत’ में दमदार एक्टिंग के बाद घर-घर पहचान मिली थी. 2019 की फिल्म, उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक में ‘मेजर करण कश्यप’ के किरदार निभाने के लिए भी उन्हें बेहद पसंद किया गया था. मोहित की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनका जन्म कश्मीर में हुआ था और वह आठ-नौ साल की उम्र तक वहीं पले-बढ़े थे.मोहित के जेहन में बचपन की यादें आज भी ताजा है. वहीं मोहित ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने कश्मीर में अपने बचपन के दिनों में क्या-क्या दहशत देखी थी.

मोहित रैना ने कश्मीर में अपने बचपन के दहशत भरे दिनों को याद किया
रणवीर अल्लाहबादिया के साथ एक इंटरव्यू में मोहित रैना से पूछा गया था कि क्या उन्हें अपने होमटाउन कश्मीर की याद आती है. इस पर एक्टर ने खुलासा किया कि हालांकि उन दिनों की यादों को कोई नहीं मिटा सकता जब वह कश्मीर में रहते थे, लेकिन उन्हें वह जगह याद नहीं आती. उन्होंने बताया कि कैसे हर पल अपनी जान गंवाने का डर सताता रहता था.

मोहित ने कहा, “नहीं अभी नहीं.जब मैं कश्मीर से बाहर गया तो मैं लगभग 8-9 साल का था. मेरा बचपन वहीं बीता. उस समय, जब कश्मीर में समस्याएं शुरू हुई थीं, वह सभी के लिए मुश्किल समय था, इसलिए हमने भी वह कठिन समय देखा. मुझे सब कुछ याद है- जैसे अपने स्कूल को जलते हुए देखना. ये बेहद पर्सनल बातें हैं, मुझे नहीं लगता कि लोग इन बातों को समझ सकते हैं. जैसे, सुबह स्कूल जाते समय इस बात से अंजान रहना कि फायरिंग देखकर आप वापस कैसे आएंगे.”

मोहित को आर्मी ऑफिसर की भूमिका निभाना क्यों है पसंद
इसके अलावा, मोहित रैना ने बताया बचपन से ही, उनके सुपरहीरो कश्मीर में सेना के जवान थे, उन्होंने मेंशन किया कि यही एक वजह है कि वह परदे पर एक सेना अधिकारी के कई किरदार निभाते रहते हैं. उन्होंने कहा, “मैंने बचपन से ही सेना देखी है.सेना के जवान हमेशा आसपास रहते थे. इसलिए मैं वर्दी और सेना के बारे में बहुत सोचता था. इस वजह से मेरा यूनिफॉर्म से बहुत जुड़ाव है, यही वजह है कि मैंने ये किरदार बहुत निभाए हैं.इसलिए मैंने उस अवसर को कभी नहीं जाने दिया, चाहे वह बड़ा हो या छोटा.”

मोहित रैना बचपन में परिवार के साथ गोली-बारी में फंस गए थे
मोहित ने उस घटना को भी याद किया जब वह केवल आठ साल के थे. उन्होंने बताया कि वह लगभग मरने की सिचुएशन में थे जब वह अपने परिवार के साथ सड़क के एक हिस्से पर खड़े थे और उनके भाई-बहन दूसरी तरफ थे और अचानक गोलीबारी शुरू हो गई थी.मोहित ने कहा, “जब आप 8 साल के बच्चे हैं और अपने माता-पिता में से एक के साथ सड़क के एक किनार पर और दूसरे छोर पर आपके भाई-बहन खड़े हैं और बीच में गोलीबारी हो रही है… तो आप समझते हैं कि आपने जीवन में बहुत कुछ देखा है.”

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