जानिए,डिप्रेशन से हर साल हो रही इतने लोगों की मौत

आजकल एक ऐसी बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसे जानते हुए भी हर कोई बेखबर रहता है और यह जानलेवा बनती जाती है. कुछ दिन पहले ही आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने फांसी लगाकर जान दे दी है. उनके सुसाइड का कारण डिप्रेशन बताया जा रहा है. कुछ महीने पहले ही पूर्व IPS ऑफिसर दिनेश शर्मा ने भी अपने ही घर में लाइसेंसी पिस्टल से खुद को गोली मार ली थी. सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा- ‘डिप्रेशन को कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं.’ वहीं, पिछले महीने ही हैदराबाद में एक MBBS स्टूडेंट ने भी डिप्रेशन के चलते हाथ की नस काटकर आत्महत्या कर ली थी. ये तो कुछ ऐसे मामले हैं जो सामने आए हैं लेकिन डिप्रेशन से मौत के अनगिनत मामले सामने आ रहे हैं. आइए जानते हैं इसकी वजह और इससे बचने का उपाय…

डिप्रेशन की वजह से मौत के आंकड़े
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 70 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. इनमें से हर 8 में से एक डिप्रेशन की वजह से सुसाइड कर रहा है। बता दें कि डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है और यह सालों साल परेशान करता रहता है. सबसे बड़ी चिंता ये है कि कई मामलों में तो इंसान को पता ही नहीं होता है कि वो डिप्रेशन में है. इससे समस्या बढ़ती जाती है और एक दिन वह सुसाइड कर लेता है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल आखिर कोई अपनी ही जान क्यों ले लेता है. इसके लिए डिप्रेशन को अच्छी तरह समझना चाहिए.

डिप्रेशन क्या है
मनोरोग विशेषज्ञ के मुताबिक, डिप्रेशन एक तरह की मेंटल बीमारी है. हर उम्र के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं. डिप्रेशन के शिकार लोग सुसाइड सबसे ज्यादा करते हैं. डिप्रेशन धीरे-धीरे शरीर में पनपती है और डर, चिंता और घबराहट के साथ इसकी शुरुआत होती है. हर किसी को अपनी लाइफ में कभी न कभी उदासी या घबराहट महसूस होती है. हफ्ते में ऐसा एक या दो बार भी हो सकता है लेकिन अगर ये चिंता, डर और उदासी हर दिन कई-कई घंटे तक बना रहता है तो ये डिप्रेशन होता है. इसकी वजह से बॉडी लैंग्वेज और कामकाज पूरी तरह प्रभावित होने लगता है. डिप्रेशन एक दिन नहीं बल्कि लंबे समय तक चलने वाली समस्या है. जब ब्रेन में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर सही तरह फंक्शन नहीं करता तब डिप्रेशन की स्थिति पैदा होती है.

डिप्रेशन में कोई सुसाइड क्यों कर लेता है
दरअसल, डिप्रेशन एक नहीं कई तरह का होता है. इसमें सबसे खतरनाक सीवियर डिप्रेशन है. ये डिप्रेशन का लास्ट स्टेज भी माना जाता है. इसमें कुछ भी अच्छा नहीं लगता. चिंता और उदासी बनी रहती है, सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है, मन और दिमाग में गलत-गलत ख्याल आते हैं. जीवन का मोह भी खत्म होने लगता है. इसी से परेशान होकर इंसान खुद को नुकसान पहुंचाता है और सुसाइड कर लेता है. आत्महत्या का ख्याल लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने के बाद आता है. ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि वे डिप्रेशन में हैं, इस वजह से उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता और वे सुसाइड कर लेते हैं. खुदकुशी का विचार भी ब्रेन में न्यूरोलॉजिकल बदलाव के कारण आता है.

डिप्रेशन में हैं ये कैसे पता चलता है
डिप्रेशन पीड़ित खुद को अकेला रखता है.
पसंद के काम में भी मन नहीं लगता है.
समय पर नींद नहीं आती, हर चीज में निगेविट सोचना.
भूख का बदल जाना, पहले की तुलना में कम भूख लगना.
कुछ लोग डिप्रेशन में नशा करने लगते हैं.
जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं लगना.
हमेशा कोई न कोई चिंता रहती है.
ऐसा लगना कि जीवन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.
मेंटल हेल्थ को लेकर मन में गलत ख्याल आना.
अपनी स्थिति में बात करने से बचना.

डिप्रेशन में सुसाइड का आए ख्याल तो क्या करें
अपनी परेशानी परिवार या दोस्तों के साथ शेयर करें.
काउंसलिंग से 80 प्रतिशत तक डिप्रेशन के मामले खत्म हो सकते हैं.
कोई दोस्त या जानने वाला जीवन को लेकर नकारात्मक बातें करें तो उसे गंभीरता से लें और साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं.

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