जानिये,अलसी के बीजों के ज्यादा सेवन से बढ़ सकती है डायरिया, पेट दर्द की समस्या

अलसी के बीज यानी फ्लैक्स सीड्स कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है. भूरे, सुनहरे पीले रंग के ये बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, पैटैशियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन सी, ई, जिंक, फॉस्फोरस आदि का बेहतरीन स्रोत होते हैं. फ्लैक्ससीड वजन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल करने में फायदेमंद है. पाचन तंत्र को भी हेल्दी रखता है. फ्लैक्ससीड्स का इस्तेमाल आयुर्वेद में खूब किया जाता है.

लिब्रेट डॉट कॉम में छपी एक खबर के अनुसार, अलसी के बीज सेहत के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन से कई नुकसान भी हो सकते हैं. इसके सेवन से आपको मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधित साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे बाउल मूवमेंट बढ़ सकता है, गैस्ट्रिक परेशानी हो सकती है, मतली, पेट दर्द, दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है.

हेल्दीफाईमी डॉट कॉम के अनुसार, जिन लोगों को हार्मोनल असंतुलन या एंडोमेट्रियोसिस की समस्या है, उन्हें अलसी के बीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि वे शरीर पर एस्ट्रोजेन के प्रभाव की नकल कर सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को भी गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान अलसी के बीजों के सेवन से बचना चाहिए वरना शिशु को भी नुकसान पहुंच सकता है.

दरअसल, अलसी के बीज शरीर में रक्त के थक्के जमने की क्षमता को कम कर सकते हैं, इसलिए यदि आपकी किसी भी तरह की सर्जरी होने वाली है, तो अलसी के बीजों के सेवन परहेज करना ही बेहतर होगा. सर्जरी के एक सप्ताह पहले और एक सप्ताह बाद तक या फिर डॉक्टर की सलाह पर ही इस बीज को डाइट में शामिल करने का सोचें.

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या होती है, उन्हें भी फ्लैक्ससीड के सेवन से बचना चाहिए. अलसी के बीज के साथ ही इसके तेल से भी एलर्जी हो सकती है. यदि आपको खुजली, सूजन, रेडनेस, पित्ती दिखाई दे तो आपको अलसी का सेवन बंद कर देना चाहिए. आपको इसे खाने के बाद उल्टी और जी मिचलाने की समस्या हो, तो संभवत: यह एलर्जी का संकेत हो सकता है.

अलसी के बीज एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं. ऐसे में ये शरीर में हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकते हैं. कुछ महिलाओं में ये पीरियड्स साइकिल को भी प्रभावित कर देते हैं. इसके अलावा, फ्लैक्ससीड के अधिक सेवन से आपको हार्मोनल संबंधित समस्याएं जैसे पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, यूटरीन फाइब्रॉएड, गर्भाशय कैंसर और डिम्बग्रंथि रोगों के होने की संभावना भी बढ़ सकती है.

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