जानिए,फैटी लिवर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं

डाइजेस्टिव सिस्टम का लिवर बड़ा पार्ट है. यदि लिवर में जरा सी भी गड़बड़ी हो जाए तो पाचन तंत्र पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है. भूख नहीं लगती, उल्टी आना, जी मिचलाना, पेट साफ न होना जैसे तमाम लक्षण दिखने लगते हैं. लिवर की ऐसी ही एक बीमारी है फैटी लिवर. फैटी लिवर दो तरह का होता है. एक होता है अल्कोहलिक फैटी लिवर, दूसरा नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर. लेकिन पैटी लिवर होना इस आर्गन में होने वाली प्रमुख बीमारियों में से एक है. अन्य बीमारियों की तरह फैटी लिवर होने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. बस उनकी समय पर पहचान करना जरूरी होता है.

यदि किसी को लिवर संबंधी बीमारी है तो उसे बार बार नाक से खून आने की परेशानी भी हो सकती है. इस बीमारी को एपिस्टेक्सिस भी कहा जाता है. नाक से अधिक ब्लीडिंग इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि बॉडी ब्लड क्लोटिंग को लेकर अधिक सेंसटिव हो जाती है. इसमें मसूढ़ों में चोट लगना और खून आना भी हो सकता है.

लिवर सिरोसिस में नाक से ब्लीडिंग के अलावा और भी लक्षण देखने को मिल सकते हैं.थकान, भूख न लगना, वजन कम होना, मसल्स डैेज होना, लिवर पेन, स्किन पीली पड़ना, बाल झड़ना, सूजन आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. गंभीर लक्षणों की बात करें तो इनसे पर्सनेलिटी में बदलाव होना, नींद न आना, मैमोरी लॉस होना, भ्रम की स्थिति रहना, किसी भी जगह ध्यान केंद्रित न कर पाना शामिल है. इस बीमारी में ब्रेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. इसके पीछे वजह यह है कि लिवर बहुत सारे जहरीले पदार्थ को बाहर निकालता है, लेकिन जब इसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है तो जहरीले तत्व ब्रेन को ही प्रभावित करना शुरू कर देते हैं.

ऐसा नहीं है कि केवल खराब खानपान या अधिक शराब पीने से ही फैटी लिवर हो जाता है. इसके पीछे कई कारण जुड़े हैं. इनमें मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज होना, इंसुलिन प्रतिरोधी होना शामिल हैं. इनके अलावा अंडरएक्टिव थायरॉयड, हाई ब्लड प्रेशर होना, उच्च कोलेस्ट्रॉल या चयापचय सिंड्रोम की वजह से भी फैटी लिवर हो सकता है.

फैटी लिवर डिसीज के शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है. जानकारी न हो पाने के कारण ही लिवर में लगातार पफैट बनती जाती है. इससे लिवर पर सूजन आ जाती हैं. इसे नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस कहा जाता है. लगातार सूजन से लिवर में निशान पड़ सकते हैं, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है. यदि इलाज न किया जाए तो यह समस्या लिवर सिरोसिस में बदल जाती हैं. इस अवस्था में लिवर सिकुड़ जाता है. इसपर जख्म होने के साथ ही आकार गांठदार हो जाता है.

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