जानिए,क्या मधुमेह वाले लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डी के फ्रैक्चर होने की संभावना अधिक होती है?

डायबिटीज़ को हम आम भाषा में शुगर कहते हैं ऐसी बीमारी है जो दीमक जैसे काम करती है, एक बार किसी को हो जाए तो ठीक होना तो नामुमकिन है. इसके अलावा ये कई अंगों को प्रभावित करता है. इसका सबसे ज्यादा असर किडनी, दिल और दिमाग पर पड़ता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इससे हड्डियां भी काफी ज्यादा प्रभावित होती ह. शायद आप सोच भी नहीं सकते कि डायबिटीज के मरीज को हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है. इसे हम ऑस्टियोपोरोसिस के नाम से जानते हैं. इसका सबसे ज्यादा असर जोड़ों पर पड़ता है आइए जानते हैं इसके बारे में

दरअसल अनियंत्रित लंबे समय से डायबिटीज वाले लोगों में खराब गुणवत्ता वाली हड्डियां होती है जो आसानी से टूट जाती है. दूसरा उनके पास मांसपेशियों का द्रव्यमान कम होता है जो अप्रत्यक्ष रूप से उनकी हड्डियों की ताकत को प्रभावित करता है और इससे उनके गिरने और हड्डी टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है. मधुमेह वाले बुजुर्ग लोगों में अक्सर आंखों से संबंधी समस्याएं या नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याएं होती है ऐसे में उन्हें यह गिरने और फ्रैक्चर के अधिक जोखिम में डालती है.दरअसल हड्डियों को मजबूत बनाने का काम कोलेजन करता है, कोलेजन के कारण ही सामान्य टक्कर , गिरने , चोट लगने पर हमारी हड्डियां टूटनी हैं मगर जब शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है तो कोलेजन प्रभावित होता है और हड्डियां कमजोर हो जाती है

जिन लोगों को टाइप वन डायबिटीज होता है उन लोगों की हड्डियां कमजोर होने का खतरा ज्यादा होता है. हड्डियां कमजोर होने के कारण छोटी मोटी चोट या टक्कर से ही हड्डियां टूट जाती है इसमें सबसे ज्यादा मामले उन लोगों में देखे गए हैं जो लंबे समय से डायबिटीज से प्रभावित है और लगातार इंसुलिन का प्रयोग कर रहे हैं आपको बता दें कि ज्यादातर टाइप वन डायबिटीज कम उम्र में होता है जब हड्डियों का विकास हो रहा होता है ऐसे में ब्लड शुगर बढ़ी होने के कारण हड्डियां अच्छी तरह मजबूत नहीं हो पाती है.

जिन लोगों को 10 साल से ज्यादा समय से डायबिटीज है उन्हें 50 साल की उम्र में अपने बोन डेंसिटी की जांच करानी चाहिए. जांच की रिपोर्ट पर आपका डॉक्टर यह तय करेगा कि आपको दावा की जरूरत है या नहीं.50 साल से कम उम्र के लोगों को भी नियमित रूप से बीएमडी की जांच कराने की सिफारिश की जाती है चाहे उन्हें मधुमेह हो या ना हो.
अगर आप शुगर कंट्रोल रखते हैं तो यह आपके हड्डियों के अलावा दूसरे अंगों को भी सुरक्षित रखता है
पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम जरूर लें, डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम का सबसे बड़ा स्रोत है. अगरआपको डेयरी प्रोडक्ट से एलर्जी है तो आपको इसकी जगह पर सप्लीमेंट का इस्तेमाल करना चाहिए
विटामिन डी का होना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप सर्दियों में धूप सेकें. गर्मियों में अगर आप धूप लेने में कठिनाई महसूस करते हैं तो विटामिन डी फोर्टीफाइड मिल्क प्रोडक्ट या सप्लीमेंट को अपने डाइट में शामिल करें
धूम्रपान छोड़ना और शराब के सेवन को नियंत्रित करना हमारी हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है.
सभी तरह के एक्सरसाइज हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं लेकिन वजन उठाने वाले व्यायाम सबसे प्रभावी होते हैं.
मेडिकेशन बहुत जरूरी है,अगर आपके डॉक्टर को यह लगता है कि आपको हड्डियों के दवा की आवश्यकता है भले ही आप में कोई लक्षण ना हो तो कृपया डॉक्टर के कहे अनुसार अनुपालन करें.

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