पीएलआई योजनाओं में निवेश उम्मीद से ऊंचा: केंद्रीय मंत्री दर्शना जर्दोश

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): केंद्रीय मंत्री दर्शना जर्दोश ने शुक्रवार को कहा कि विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने संबंधित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में निवेश-प्रस्ताव आकर्षित किए हैं और मैन-मेड-फाइबर एवं तकनीकी टेक्टसटाइल्स भी इस मामले में अग्रणी क्षेत्र है। श्रीमती जर्दोश ने बताया कि सरकार वस्त्र क्षेत्र में एक और पीएलआई योजना लाने का विचार कर रही है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों के साथ मिल कर खास कर तकनीकी टेक्सटाइल्स विनिर्माण को प्रोत्साहित करने में लगी है। उन्होंने कहा कि टेक्निकल टेक्सटाइल्स के अनुप्रयोगों से सड़क निर्माण, कृषि और अन्य क्षेत्रों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि देश में जी-20 की जगह-जगह होने वाली बैठकों से भारत के हैंडलूम और हस्तशिल्प उद्योग को विश्वस्तर पर बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इन बैठकों में भारतीय हस्तशिल्प को प्रदर्शित करने की विशेष तैयारी है।

श्रीमती जर्दोश ने यहां यूनीवार्ता से विशेष बातचीत में कहा, “आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने तथा विनिर्माण क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया है। इसके लिए 14 क्षेत्रों में पूंजी तथा उन्नत तकनीक को प्रोत्साहित करने के उद्येश्य से जो उत्पादन आधारित निवेश (पीएलआई) योजना शुरू की गयी है उनके अंतर्गत इन क्षेत्रों में अब तक 717 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं।’

उन्होंने कहा कि ‘बल्क ड्रग्स, मेडिकल उपकरण, दूरसंचार , ह्वाइट गुड्स (बिजली के घरेलू उकरण), खाद्य प्रसंस्कण , सोलर वीपी सेट तथा मैन मेड फाइबर एवं तकनीकी वस्त्र जैसे क्षेत्र में एमएसएमई (लघु और मझोले उद्यम क्षेत्र) के निवेशकों की भागीदारी अच्छी रही है और इन क्षेत्र में पीएलआई योजना के 100 से अधिक लाभार्थी एमएसएमई क्षेत्र के हैं।

श्रीमती जर्दोश ने कपड़ा पीएलआई के तहत निवेश के आंकड़े अलग से देने के बजाय कहा कि इस योजना के तहत वर्ष 2021-22 में हुआ वास्तविक निवेश अनुमान से अधिक (106 प्रतिशत) रहा है। रेल एवं कपड़ा राज्य मंत्री ने इस योजना का क्रियान्वन कर रहे मंत्रालयों की ताजा रिपोर्टों के हवाले से बताया, “इस योजना के तहत लगभग 47 हजार करोड़ रुपये (5.6 अरब डालर ) का वास्तविक निवेश हुआ है।” उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत 3.75 लाख करोड़ रुपये (लगभग 45 अरब डलार ) के उत्पादों का विनिर्माण और बिक्री की गयी है तथा देश में 2.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि जिन 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना लाई गयी है उनमें विद्युत वाहनों के लिए उन्नत रसायनों वाली बैटरी, ड्रोन, मोबाइल और विशेष इस्पाता जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। तकनीकी टेक्सटाइल्स के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के श्रीमती जर्दोश ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तकनीकी टेक्सटाइल्स का सड़क निर्माण में , कृषि और बागवाली, पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों में रेल मार्गों पर चट्टानों के खिसने से बचाव तथा घरेलू तथा औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा उपयोग है। उन्होंने कहा, “हम विभिन्न राज्यों के साथ मिल वहां तकनीकी कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमने कुछ समय पहले पूर्वोत्तर में एक सम्मेलन किया था। फरवरी में मुंबई में तकनीकी टेक्सटाइल्स पर एक सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि मुंबई के सम्मेलन में विदेशी क्रेताओं को भी आमंत्रित करने का विचार है। श्रीमती जर्दोश ने कहा, “सड़क निर्माण में टेक्निकल टेक्सटाइल्स के प्रयोग से सड़कें लम्बे समय तक मजबूत बनी रहती हैं। रेलवे मार्गों को प्रकृतिक आपदा के समय संरक्षित रखने में इसका उपयोग है। किसानों के लिए जाल आदि के विनिर्माण, स्पोर्ट्स वेयर आदि कई क्षेत्रों में इसके उपयोग की पहचान की है। इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को हम बढ़ावा दे रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि टेक्निकल टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में सौ से अधिक स्टार्टअप इकाइयां आगे आयी हैं। उन्होंने बैंक से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में विनिर्माताओं और उपयोगकर्ताओं की एक बैठक हाल में आयोजित की गयी थी। उन्होंने कहा कि ‘ मैन-मेड-फाइबर उद्योग को सस्ते आयात से बचान के लिए हमने डंपिग रोधी शुल्क लगाए है। इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा तथा तकनीकी टेक्सटाइल उद्योग भी प्रोत्साहित होगा।’

पीएलआई में हम ऐसे मूल्य वर्धित उत्पादों पर भी काम कर रहे हैं जिनकी निर्यात की संभावना अधिक है। भारत में पीपी किट, होम फर्निशिंग, सेना के कपड़े, कारपेट और बलून आदि बनाने में में काम आने वाले टेक्निकल कपड़ों के विनिर्माण के लिए हमने प्रोत्साहन दिया है।”

उन्होंने कहा , “कपड़ा क्षेत्र देश में बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले कपड़ा क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए नयी पहल कर रही है। रेश उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोकून की खेती का विस्तार करना चाहती है। इससे हम इस क्षेत्र में जापान के बाद हम सबसे बड़े निर्यातक बन सकते हैं। ’ हमने पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड सरकार से रेशम-कीट पालन परियोजनाओं के प्रोत्साहन के संबंध में बात की है।’ उन्होंने कहा कि रेशम कीट पालन में कर्नाटक में चार से पांच फसल ली जा रही है। दूसरे राज्यों में इस तरह का लाभ उठाया जा सकता है। फैब्रिक में रेशम, जूट और पश्मीना को भी हम प्रोत्साहन दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल में हम जीआई टैग (क्षेत्र विशेष के वस्त्र की विशिष्ट पहचान) दे रहे हैं इसका संबंधित क्षेत्र के कपड़ा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार में फायदा मिलेगा। श्रीमती जर्दोश ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात और आस्ट्रेलिया के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते में जीआई टैग वाले हमारे टेक्सटाइल उत्पादों को और अधिक फायदा होगा।

कपड़ा राज्य मंत्री ने कहा कि जी20 शिखर बैठक में हम अपने हैंडलूम और हस्तशिल्प उत्पादों तथा दस्तकारों की सबसे ज्यादा प्रदर्शनी लगाने वाले हैं। जी20 की 56 जगह पर बैठकें होने वाली हैं। वहां इसका आयोजन होगा। इसमें सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी है। इसकी पूरी योजना बनायी गयी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम कपड़ा उद्योग में तकनीकी वस्त्र से लेकर हथकरघा, जूट से लेकर रेशम तक, हर अंग को समान गति से मजबूत करने में लगे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई 2.0 लाने का विचार कर रहे हैं। मेगा टेक्सटाइल्स पार्क योजनाओं के लिए 12 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनमें से सात को मंजूर करेंगे। इन पार्कों में राज्य सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत होगी और ये उन राज्यों को दिए जाएंगे जिनकी नीति अच्छी होगी। मंजूरी में राज्य में बिजली की दर और श्रम नीति आदि को ध्यान दिया जा रहा है।’”

श्रीमती जर्दोश बताया कि कम से कम एक-एक हजार एकड़ के ये पार्क स्थापित करने के लिए तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब महाराष्ट्र और गुजरता जैसे राज्यों ने मेगा टेक्सटाइल्स परियोजनाओं की मांग की है। कुछ राज्यों में एक से अधिक परियोजना के प्रस्ताव आएंगे।

उन्होंने कहा कि भारत में मेगा टेक्सटाइल्स पार्क से एक ही जगह पूरी विनिर्माण श्रृंखला की स्थाना को बढ़ावा मिलेगा। परिवहन आदि का खर्च भी काम होगा और कुल लागत कम होगी तथा विदेशी बाजार में भारतीय वस्त्रों की प्रतिस्पर्धा क्षमता अधिक मजबूत होगी।

-एजेंसी/वार्ता

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