पित्त दोष ‘अग्नि’ और ‘जल’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। शरीर की गर्मी जैसे कि शरीर का तापमान, पाचक अग्नि जैसी चीजें पित्त द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। पित्त का संतुलित अवस्था में होना अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है। शरीर में पेट और छोटी आंत में पित्त प्रमुखता से पाया जाता है।आज हम आपको बताएंगे क्या होता है और इसके आयुर्वेदिक उपाय।
ऐसे लोग पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, अपच, एसिडिटी आदि से पीड़ित रहते हैं। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। पित्त दोष के कारण उत्साह में कमी होने लगती है साथ ही ह्रदय और फेफड़ों में कफ इकठ्ठा होने लगता है। इस लेख में हम आपको पित्त दोष के लक्षण, प्रकृति, गुण और इसे संतुलित रखने के उपाय बता रहे हैं।
एसिडिटी या पित्त बढ़ने की समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपाय और डाइट प्लान लाभकारी हो सकते हैं:
आयुर्वेदिक उपाय:
सौंफ़ (Fennel): एक गिलास गरम पानी में थोड़ा सा सौंफ़ डालकर रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को पीने से एसिडिटी में राहत मिल सकती है।
हरड़ (Harad): हरड़ का चूर्ण एक गिलास गरम पानी में मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या में लाभ मिल सकता है।
आवला (Indian Gooseberry): अमला खाना भी एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकता है।
त्रिफला (Triphala): त्रिफला का सेवन भी पित्त को बढ़ाने वाली समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
डाइट प्लान:
हल्का भोजन: एसिडिटी के समय मांस, फ्राइड फूड, तला हुआ खाना और तीखे खाने का सेवन कम करें।
हरी सब्जियां और फल: हरी सब्जियां और फलों का सेवन बढ़ाएं, जैसे कि ककड़ी, लौकी, कीवी, सेब, और खीरा।
अदरक और नींबू पानी: दिन में कुछ बार अदरक और नींबू के पानी का सेवन करें, जो एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकता है।
ग्रीन टी: हरा चाय का सेवन करें, जो पेट को शांति प्रदान कर सकता है।
सेंधा नमक: साँधा नमक का सेवन भी एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकता है।
यदि एसिडिटी की समस्या गंभीर है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो चिकित्सक से परामर्श करना सबसे उत्तम होगा। वे आपको सही उपाय और इलाज की सलाह देंगे।
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