बच्चों में टीबी की दवाएं क्यों हो रही बेअसर? जानें एक्सपर्ट की राय

टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) दुनियाभर में अब भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। भारत समेत कई देशों में इस बीमारी पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में मरीजों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन अगले कुछ सालों तक इस बीमारी के खत्म होने की संभावना नहीं दिखती।

एक नई रिसर्च के मुताबिक, 5 साल से छोटे बच्चों में टीबी की दवाएं असर नहीं कर रही हैं। मेडिकल भाषा में इसे मल्टी ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब टीबी बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है।

MDR-TB के बढ़ते मामले: रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा!
इस स्टडी को पीडियाट्रिक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें बीते कई सालों के डेटा का विश्लेषण किया गया है।

🔹 1990 से 2005 और 2005 से 2015 के बीच MDR-TB के मामलों में मामूली गिरावट दर्ज की गई थी।
🔹 2015 के बाद से यह समस्या लगातार बढ़ रही है और सबसे ज्यादा मामले पूर्वी यूरोप, दक्षिणी उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में देखे जा रहे हैं।
🔹 5 साल से कम उम्र के बच्चों में MDR-TB के कारण मौतें भी हो रही हैं।

टीबी की दवाएं क्यों हो रही बेअसर?
🔸 इलाज अधूरा छोड़ना:
माता-पिता अक्सर बच्चे के ठीक दिखने पर दवा देना बंद कर देते हैं। इससे टीबी बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं होता और बीमारी दोबारा लौट आती है।

🔸 गलत डोज देना:
कई बार बच्चों को सही मात्रा में दवा नहीं दी जाती, जिससे इलाज अधूरा रह जाता है और बैक्टीरिया और ताकतवर बन जाता है।

🔸 बैक्टीरिया का इम्यून हो जाना:
कुछ मामलों में टीबी फैलाने वाला बैक्टीरिया इतना ताकतवर हो जाता है कि उस पर दवाओं का असर नहीं होता।

🔸 लंबे इलाज की जरूरत:
टीबी का कोर्स 6 से 9 महीने तक चलता है, लेकिन कई मरीज इसे बीच में ही छोड़ देते हैं। इससे बैक्टीरिया फिर से सक्रिय हो सकता है।

2035 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य, लेकिन कितना मुमकिन?
🔹 टीबी एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
🔹 WHO ने 2014 में ‘टीबी को समाप्त’ करने का अभियान शुरू किया था, जिसमें 2035 तक टीबी के मामलों में 90% तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया था।
🔹 साल 2021 में दुनियाभर में टीबी के 1.25 करोड़ केस दर्ज हुए, जिनमें से 27% मरीज अकेले भारत से थे।

हालांकि, बीते कुछ सालों में भारत में टीबी के मरीजों की संख्या घटी है, लेकिन अब भी यह उतनी तेजी से कम नहीं हो रही, जितनी उम्मीद की गई थी।

टीबी से बचाव के लिए क्या करें?
✅ पूरे कोर्स की दवा लें और बीच में न छोड़ें।
✅ टीबी के लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
✅ पोषण युक्त आहार लें, ताकि इम्यूनिटी मजबूत हो।
✅ टीबी मरीजों को मास्क पहनना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले।
✅ साफ-सफाई और हवादार जगह पर रहने से संक्रमण का खतरा कम होता है।

टीबी से जंग जीतने के लिए जागरूकता और सही इलाज बेहद जरूरी है। यदि दवा को सही तरीके से लिया जाए और समय पर पूरा किया जाए, तो इस बीमारी को हराया जा सकता है।

यह भी पढ़ें:

भारतीय टीम का स्क्वॉड जारी: बुमराह की जगह मिलेगा यह युवा तेज गेंदबाज