भारत में किसानों की आजीविका सुधारने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने बुधवार को (आज) अपनी नई पंचवर्षीय रणनीति की घोषणा की। इसका उद्देश्य 2028 तक 10 लाख छोटे किसानों तक पहुंचना है, जिनमें कम से कम 50 प्रतिशत महिलाएं होंगी। इसके तहत उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सहित कई राज्यों में किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सामूहिकता (कलेक्टिवाइजेशन) और फार्म एग्रिगेशन के क्षेत्रों में काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठनों को अनुदान दिया जाएगा।
वॉलमार्ट फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला अनुदान स्थानीय अनुदानकर्ताओं को विशेष रूप से महिला किसानों के सशक्तीकरण पर फोकस करते हुए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के क्षमता निर्माण में सहयोग करने में सक्षम बनाएगा। इसके साथ ही यह आसान तरीके से बेहतर कारोबारी अवसर पाने के लिए मार्केट लिंकेज बढ़ाने और किसानों को पर्यावरण के अनुकूल कृषि प्रक्रियाओं एवं टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित करने में सक्षम बनाएगा। फाउंडेशन ने नई पंचवर्षीय रणनीति के साथ दो नए अनुदानों की घोषणा की है। इनमें शामिल हैं:
महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में छोटे किसानों के लिए टेक्नोसर्व को 30 लाख डॉलर का अनुदान। इसका लक्ष्य 24 एफपीओ और 30,000 किसानों तक पहुंचना है, जिनमें 50% महिलाएं होंगी।
ट्रिकल अप को 533,876 डॉलर का अनुदान, जिसका लक्ष्य ओडिशा में 1,000 स्मॉलहोल्डर महिला किसानों तक पहुंचना और उन्हें दो एफपीओ से जोड़ना है।
यह पंचवर्षीय रणनीति 2018 से भारत में किसानों की आजीविका में सुधार और कमर्शियल गुड्स मार्केट तक उनकी पहुंच बढ़ाने की दिशा में किए गए वॉलमार्ट फाउंडेशन के निवेश का ही विस्तार है। 2.5 करोड़ डॉलर के निवेश के अपने शुरुआती लक्ष्य को पार करते हुए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने 16 अनुदानकर्ताओं के साथ 24 अनुदान कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में छोटे किसानों का सहयोग करने वाले परोपकारी अनुदानों के लिए 3.9 करोड़ डॉलर से अधिक की फंडिंग की है। ये अनुदान आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दिए गए हैं।
इन निवेशों के माध्यम से वॉलमार्ट फाउंडेशन से जुड़े अनुदानकर्ता सम्मिलित रूप से 8,00,000 से अधिक छोटे किसानों का सहयोग करेंगे। अनुमान है कि सहयोग प्राप्त करने वाले किसानों में आधे से अधिक महिला किसान होंगी। यह नई प्रतिबद्धता अपने विस्तार, नेटवर्क और स्ट्रेटजिक फिलांथ्रोपी (रणनीतिक परोपकार) का लाभ उठाते हुए पूरे भारत में छोटे किसानों के लिए बाजार तक पहुंच को सुगम बनाने की दिशा में वॉलमार्ट फाउंडेशन के प्रयासों को दर्शाती है। इस साल के आखिर से नए अनुदानों की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए भारत में प्रभाव अध्ययन (इंपैक्ट मेजरमेंट) करने वाली कंपनी संबोधि द्वारा किए गए अध्ययन के परिणामों को आधार बनाया जाएगा। संबोधि ने इस बात का अध्ययन किया है कि आजीविका में सुधार और भारत में एफपीओ की आय बढ़ाने की दिशा में वॉलमार्ट फाउंडेशन के निवेश से अब तक कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अध्ययन के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले विभिन्न एनजीओ द्वारा एफपीओ क्षमता निर्माण की दिशा में की गई विभिन्न पहलों का विश्लेषण किया गया है और इससे पता चलता है कि इन कदमों ने एफपीओ के स्तर पर व्यवस्था एवं प्रक्रिया को मजबूत किया है, राजस्व एवं लाभ बढ़ाया है, साथ ही खेती के स्तर पर एवं एफपीओ में नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने में भी मदद की है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
आय में वृद्धि : इनमें शामिल एफपीओ को इनपुट प्रदान करने, अंतिम उत्पाद को ज्यादा विविधतापूर्ण बाजारों तक पहुंचाने में मदद करने और अन्य समकक्ष एफपीओ की तुलना में औसतन 29% अधिक राजस्व अर्जित करने में सक्षम पाया गया।
इनमें शामिल एफपीओ में से ज्यादातर को लाभ हुआ। इनमें 72 प्रतिशत एफपीओ लाभ में रहे, जबकि अन्य समकक्ष एफपीओ में लाभ में रहने वाले एफपीओ का प्रतिशत 42 प्रतिशत रहता है। इसमें शामिल एफपीओ ने औसतन 38 प्रतिशत अधिक लाभ कमाया।
इससे जुड़े परिवारों में से बड़े हिस्से ने खेती के लिए भूमि को पट्टे पर देना शुरू कर दिया, जो इसके लाभार्थियों के बीच बढ़ी आय को लेकर भरोसे को दर्शाता है।
अधिक उपज : वॉलमार्ट फाउंडेशन द्वारा समर्थित परियोजनाओं द्वारा सहायता प्राप्त एफपीओ से जुड़ी महिला किसानों की क्रॉपिंग इंटेंसिटी 210 प्रतिशत रही, जबकि उनकी समकक्ष अन्य महिला किसानों की क्रॉपिंग इंटेंसिटी 149 प्रतिशत रही। इससे जुड़ी महिला किसानों ने हाई वैल्यू क्रॉप्स की खेती की।
एनजीओ द्वारा समर्थित 40% से अधिक एफपीओ उत्पादों के एकत्र करने (एग्रिगेशन) से जुड़े रहे।
वॉलमार्ट फाउंडेशन के अनुदान प्राप्तकर्ताओं द्वारा समर्थित कई एफपीओ मिलेट्स आधारित उत्पादों जैसे मिलेट फ्लोर, रेडी टू ईट ज्वार मील आदि से जुड़ने लगे हैं, जो रोजमर्रा के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
डिजिटलीकरण और विविधीकरण : कार्यक्रम के 80% लाभार्थी एफपीओ के संचालन, वित्तीय प्रबंधन और एडवाइजरी एवं सर्विसेज के लिए सदस्य किसानों से जुड़ने में डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे थे।
व्यावसायिक गतिविधियों और आय स्रोतों के अहम विविधीकरण के माध्यम से इन योजनाओं से जुड़े एफपीओ वित्तीय रूप से ज्यादा व्यावहारिक पाए गए।
पिछले 12 महीनों में इससे जुड़े किसानों द्वारा ली गई शीर्ष तीन एडवाइजरी सर्विसेज (परामर्श) में क्रॉप एडवाइजरी (61%), कीट प्रबंधन (39%) और इनपुट एडवाइजरी (27%) शामिल थीं।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इनपुट और सर्विसेज तक महिलाओं की समान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में लागू करने वाले साझेदारों (इंप्लेमेंटिंग पार्टनर्स) के बीच जेंडर-सेंसिटिव प्रोग्रामिंग को महत्वपूर्ण पाया गया, साथ ही चुनौतियों का सामना करने एवं अवसरों का लाभ उठाने में वे सक्षम रहे।
इस मौके पर माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और छोटे किसानों का कल्याण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से है। किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में विभिन्न कदम उठाने के साथ-साथ सरकार ने देश में 10,000 से ज्यादा एफपीओ भी स्थापित करने की पहल की है। इन एफपीओ की मदद से किसानों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य मिलना संभव हो सकेगा। मैं 2028 तक 10 लाख किसानों का सहयोग करने, विशेष रूप से महिला किसानों के लाभ पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में वॉलमार्ट फाउंडेशन की प्रतिबद्धता के लिए उन्हें बधाई देता हूं।”
कैथलीन मैकलॉफलिन, एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, वॉलमार्ट इंक तथा प्रेसिडेंट, वॉलमार्ट फाउंडेशन ने कहा, “भारत में छोटे किसानों की बाजार पहुंच को विस्तार देने की वॉलमार्ट फाउंडेशन की नवीनतम प्रतिबद्धता हमारे उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत हम ऐसे समाधान तलाशते हैं, जिनसे सभी संबंधित पक्षों के बीच व्यवस्थित तरीके से साझा मूल्य (शेयर्ड वैल्यू) तैयार करने में मदद मिले। बीते हुए समय की व्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने और महिलाओं के समावेश एवं सशक्तीकरण को बढ़ावा देते हुए छोटे किसानों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने की दिशा में रणनीतिक परोपकार एक मजबूत साधन के रूप में भूमिका निभा सकता है।”
रजनीश कुमार, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, चीफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ऑफिसर, फ्लिपकार्ट ने कहा, ‘फ्लिपकार्ट एक लचीला और समावेशी एग्रीबिजनेस सप्लाई चेन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम जानते हैं कि ग्रॉसरी स्थानीय साझेदारों को सशक्त बनाता है और वॉलमार्ट फाउंडेशन व फ्लिपकार्ट कृषि समर्थ जैसे कार्यक्रमों के साथ मिलकर काम करते हुए हम एक समग्र पारिस्थितिकी तैयार कर रहे हैं जो डिजिटल इकोनॉमी से बने अवसरों का लाभ उठाते हुए किसानों को समृद्ध बनाने में सहायक है। महिलाओं (महिला किसानों) को सशक्त बनाने में मदद करना और समावेशी विकास सुनिश्चित करना हमारी सभी पहलों के केंद्र में है।’