बिगड़ती जीवनशैली व ग़लत खानपान के कारण जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ती ही जा रही है. जोड़ों के दर्द की समस्या से राहत पाने के लिए योगासन का सहारा लेना चाहिए, आइये जानते है योगासन के बारे में विस्तार से :-
धनुरासन:-
पेट के बल लेट जाएं. पैर सटे हुए हों और हाथों को पैरों के पास रखें.
धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखने को पकड़ें.
गहरी सांस लेते हुए सीने को उठाएं और जांघों को भी जमीन से ऊपर उठाएं.
शरीर धनुष की तरह खिंचा हुआ रहे. सांस सामान्य गति से लेते रहें.
कुछ सेकंड इस अवस्था में रुकें. फिर पूर्व अवस्था में आ जाएं.
लाभः यह आसन कंधों को खोलने के साथ ज्वाइंट पेन में राहत देता है. इससे शरीर की स्ट्रैचेबिलिटी भी बढ़ती है.
मकर अधोमुख श्वानासन:-
सीधे खड़े हो जाएं.
आगे की ओर झुकते हुए धीरे-धीरे बांहों को नीचे लाएं जब तक कि हथेलियां ज़मीन को न छू लें.
पैरों को सीधा रखते हुए अपनी नज़रें ज़मीन पर टिकाएं.
पीठ और घुटनों को सीधा रखें.
सांस लेते हुए पेट की मांसपेशियों को अंदर खींचें और सांस छोड़ते हुए उन्हें आराम दें.
लाभः यह आसन ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है. इसके अलावा कलाई, बांहों व पैरों को मज़बूती देने के साथ कंधों व घुटने की नसों में खिंचाव पैदा करता है.
ताड़ासन:-
पैरों को आपस में मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं.
दोनों पैरों पर वज़न समान रूप से संतुलित हो.
गहरी सांस लें और धीरे-धीरे अपने घुटनों को ऊपर उठाएं.
अपने शरीर के वज़न को दोनों पैरों के पंजों पर संतुलित करें.
बांहें, छाती और कंधों को ऊपर की ओर फैलाएं.
कुछ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें.
सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं.
लाभः यह आसन नियमित रूप से करने से घुटने व टखने मज़बूत बनते हैं.
त्रिकोणासन:-
दोनों पैरों के बीच अंतर रखकर सीधे खड़े हो जाएं.
सांस छोड़ते हुए दाहिनी ओर झुकें. नज़र सामने हो.
बाएं हाथ को ऊपर करते हुए दाएं हाथ से ज़मीन को छूने की कोशिश करें.
दोनों हाथ सीधे रखें.
कुछ देर इस स्थिति में रहें.
अब सास लेते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं.
दूसरी तरफ़ भी यही प्रक्रिया दोहराएं.
लाभः ट्रायंगल पोज़ से घुटने, कमर, पैर व टखनों को मज़बूती मिलती है. ये हैमस्ट्रिंग, कमर व कूल्हों को स्ट्रेच करने में भी मदद करता है.
सेतु बंधासन:-
पीठ के बल लेट जाएं.
पैरों को मोड़कर कूल्हों के करीब ले आएं. जितना करीब हो सके, उतना लाएं.
सांस लेते हुए हाथों पर भार डालते हुए धीरे धीरे कूल्हों को ऊपर उठाएं.
पैरों को मज़बूती से टिका कर रखें. पीठ जितना हो सके, क्षमतानुसार ऊपर उठाएं.
इस मुद्रा में 5-10 सेकेंड रहें.
लाभः यह ब्रिज पोज़ घुटने के जोड़ों की मांसपेशियों को मज़बूत करने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस में भी आराम देता है.
बालासन:-
घुटनों को माड़ते हुए एड़ियों पर बैठ जाएं.
गहरी सांस लेते हुए अपनी बांहों को फैलाएं.
आगे की ओर इस तरह से झुकें कि माथा ज़मीन को छू सके.
कुछ देर इसी अवस्था में रहते हुए सामान्य रूप से सांस लें.
धीरे-धीरे पूर्व स्थिति वापस आ जाएं.
लाभः यह आसन रीढ़ की हड्डी, जांघों, टखनों व कूल्हों को स्ट्रेच करने में मदद करता है. इसे खाली पेट ही करें.
प्राणायाम:-
प्राणायाम के लिए आराम से सुखासन में बैठ जाएं.
दाएं अंगूठे से दाईं नासिका को दबाकर बाईं नासिका से गहरी सांस लें.
अब अनामिका उंगली से बाईं तरफ़ की नासिका को दबाकर दाईं नासिका से सांस छोड़ें.
लाभः नियमित रूप से प्राणायाम करना जोड़ों के दर्द में आराम के साथ पूरे शरीर के लिए फ़ायदेमंद होता है.
वीरभद्रासन:-
पैरों के बीच कुछ दूरी करके सीधे खड़े हो जाएं.
दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर की ओर मोड़ें.
दोनों हाथों को बगल से उठाएं. हथेलियां नीचे की दिशा में ज़मीन के समानांतर रखें.
सांस छोड़ें और दाहिने घुटने को मोड़ें.
सांस छोड़ें और हाथों को नीचे की ओर लाएं.
बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं.
लाभः ये आसन घुटने मज़बूत करने के साथ फ्रोजन शोल्डर में भी आराम पहुंचाता है.
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