पाकिस्तान के स्टार बल्लेबाज बाबर आज़म दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। उनकी बल्लेबाजी का हर कोई मुरीद है, लेकिन एक चीज़ जो उन्हें अक्सर चर्चा में रखती है, वह है उनकी अंग्रेजी। बाबर को ठीक से अंग्रेजी बोलनी नहीं आती, और इसका असर उनके क्रिकेट करियर पर भी पड़ता है। कई क्रिकेट विशेषज्ञ और कोच उनसे बात करने या सलाह देने से कतराते हैं। हाल ही में साउथ अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर हर्शल गिब्स ने भी इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया था।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय खिलाड़ी कैसे इतनी आसानी से अंग्रेजी सीख जाते हैं? भले ही वे छोटे शहरों और गांवों से आते हों, फिर भी इंटरनेशनल क्रिकेट में पहुंचते ही वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगते हैं। इसके पीछे है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की खास रणनीति।
BCCI कैसे सिखाती है खिलाड़ियों को अंग्रेजी?
भारतीय क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़ियों के व्यक्तित्व विकास (पर्सनालिटी डेवलपमेंट) पर खास ध्यान देता है। इंटरनेशनल क्रिकेट में अंग्रेजी का महत्व समझते हुए BCCI खिलाड़ियों को इंग्लिश स्पीकिंग सेशन उपलब्ध कराती है।
- स्पेशल इंग्लिश क्लासेस: खिलाड़ियों के लिए स्पेशल इंग्लिश स्पीकिंग ट्रेनिंग का आयोजन किया जाता है, ताकि वे विदेशी कोच, कमेंटेटर्स और ब्रॉडकास्टर्स से बेझिझक बातचीत कर सकें।
- विदेशी दौरों पर कोचिंग: जब भारतीय खिलाड़ी विदेश दौरे पर जाते हैं, तो उनके लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोच उपलब्ध कराए जाते हैं।
- फोन और ऑनलाइन ट्रेनिंग: खिलाड़ियों को फोन और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए भी अंग्रेजी सुधारने की ट्रेनिंग दी जाती है।
- व्यक्तित्व विकास (Personality Development): सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को इंटरव्यू, प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल इंटरैक्शन में बेहतर बनने की भी ट्रेनिंग दी जाती है।
अंपायरों को भी मिलती है ट्रेनिंग
सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि भारतीय अंपायरों के लिए भी BCCI अंग्रेजी की विशेष ट्रेनिंग उपलब्ध कराती है। अंपायर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत उन्हें बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स सिखाई जाती हैं, ताकि किसी भी इंटरनेशनल मैच या टूर्नामेंट में भाषा की वजह से परेशानी न हो। The Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंपायरों की अंग्रेजी सुधारने के लिए BCCI ने ब्रिटिश काउंसिल के साथ करार भी किया था।
निष्कर्ष
BCCI अपने खिलाड़ियों और अंपायरों को इंटरनेशनल लेवल पर सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाती है। यही वजह है कि भारतीय क्रिकेटर्स जल्दी से अंग्रेजी सीख जाते हैं और इंटरव्यू से लेकर ड्रेसिंग रूम तक, हर जगह आसानी से संवाद कर पाते हैं। वहीं, पाकिस्तान जैसे देशों में इस तरह की व्यवस्थाएं कम होने की वजह से कई खिलाड़ियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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