अस्थमा को दमा भी कहते हैं. ये ऐसी बीमारी है जिसमें सांस लेने में मुश्किल होने लगती है. अस्थमा के मरीज की सांस नलियां सूज जाती हैं और सांस लेने का मार्ग सिकुड़ जाता है. ऐसी स्थिति में ब्रॉनकायल टयूब्स से सांस फेफड़ों के अन्दर और बाहर जाती है. जब सूजन ज्यादा बढ़ जाती है तो सांस लेने में ज्यादा परेशानी होने लगती है. ऐसे में मरीज को सांस लेने में तकलीफ, खांसी, घरघराहट और सीने में जकड़न होने लगती है. अस्थमा के मरीज को बदलते मौसम में अपनी दवाओं का सेवन जरूर करना चाहिए.
अर्ध मत्स्येंद्रासन- अस्थमा के मरीज को अर्ध मेरुदंड मरोड़ आसन करना चाहिए. इससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो अच्छा रहता है. इस योग से छाती खुलती है.
पवनमुक्तासन- इस योगासन से पाचनक्रिया मजबूत होती है. ये योगासन उदर को मजबूत बनाता है. जो लोग इसे रोजाना करते हैं उन्हें गैस की समस्या में आराम मिलता है.
सेतुबंधासन- अस्थमा के मरीजों के लिए ये आसान बहुत फायदेमंद है. इस योग को करने में बनने वाली सेतुमुद्रा से छाती और फेफड़ों का रास्ता खुलता है.
भुजंगासन- अस्थमा के मरीजों को भुजंगासन करने से भी आराम मिलता है. इसमें कोबरा मुद्रा में रहने से सीने में होने वाली सांस की परेशानी कम होती है.
अधोमुख श्वानासन- अस्थमा और साइनेस से पीड़ित लोगों को अधोमुख श्वानासन जरूर करना चाहिए. इस योगासन से मन शांत होता है और स्ट्रेस कम होता है.
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