काशी का स्वरूप फिर से संवर रहा, यह देश के लिए गौरव की बात : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी सांसद ज्ञान, सांसद संस्कृत एवं सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया। संस्कृत के छात्रों को किताबें, निःशुल्क ड्रेस, वाद्ययंत्र और 66 छात्रों में योग्यता छात्रवृत्ति वितरित कर सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता गैलरी का अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कालातीत काशी सर्वविद्या की राजधानी है। आज काशी का सामर्थ्य स्वरूप फिर से संवर रहा है। यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। विगत 10 वर्षों में काशी में हुए आमूल चूल परिवर्तन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है। पूरी दुनिया से लोग शांति की तलाश में काशी आते हैं। इस समय महादेव खूब प्रसन्न हैं। इसलिए महादेव के आशीष के साथ 10 साल में काशी में चारों ओर विकास का डमरू बजा है।

उन्होंने मौके पर लगाए गए फोटोग्राफी प्रदर्शनी की चर्चा करते हुए कहा कि मंच पर आने से पहले काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता की गैलरी देखी। 10 साल में विकास की गंगा ने काशी को सींचा है। काशी कितनी तेजी से बदली है, उसे आप सबने साक्षात देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी केवल आस्था का तीर्थ नहीं, ये भारत की शास्वत चेतना का जागृत केंद्र है। एक समय था जब भारत की समृद्धि की गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी। इसके पीछे भारत की आर्थिक ताकत ही नहीं हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक ताकत भी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी जैसी तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे। उन्होंने कहा कि भारत ने जितने भी नये विचार और विज्ञान दिये उनका संबंध किसी न किसी सांस्कृतिक केंद्र से थे। काशी शिव की नगरी है और बुद्ध के उपदेशों की भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की भूमि है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के वक्त मैंने कहा था कि ये धाम भारत को निर्णायक दिशा देगा। भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर लेकर जाएगा। आज ये दिख रहा है। अपने भव्य रूप में विश्वनाथ धाम भारत को निर्णायक भविष्य की ओर ले जाने के लिए फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा है। इस परिसर में देशभर के विद्वानों की विद्वत संगोष्ठियां हो रही हैं। मंदिर न्याय शास्त्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है। इससे देशभर के विद्वानों में विचारों का आदान प्रदान बढ़ रहा है, प्राचीन ज्ञान का संरक्षण और नये विचारों का काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी इसी प्रयास का हिस्सा है।

इसके पहले प्रधानमंत्री ने भोजपुरी में लोगों का अभिवादन कर अपने संबोधन की शुरुआत की। दो दिवसीय वाराणसी दौरे के अंतिम दिन बीएचयू पहुंचे प्रधानमंत्री का स्वागत शंखध्वनि और पुष्पवर्षा के बीच किया गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं- आशुतोष पति त्रिपाठी, तारा देवी एवं शिखा मिश्रा को छात्रवृत्ति स्वरूप 10-10 हजार रुपये का चेक प्रदान किया। इस दौरान उन्होंने सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता की स्मारिका एवं काफी टेबल बुक का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मंत्री रविंद्र जायसवाल, मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

– एजेंसी