अंधेरे में रोहित सहमा सा खड़ा था। तभी आ गया एक कडक हवलदार। पूछने लगा-
‘क्यों ? क्या नाम है तेरा ?
‘जी शेरसिंह!
‘बाप का नाम ?
‘दिलेरसिंह!
‘दादा का नाम?
‘शमशेरसिंह!
‘यहाँ क्यों खड़े हो?
‘देखते नहीं, सामने कुत्ते का पिल्ला घूम रहा है। अगर उसने मुझे देख लिया तो ?😜😂😂😂😛🤣
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दफ्तर में दो दोस्त बतिया रहे थे।
पहला- अच्छा हुआ कि ‘पाँच दिन काम, दो दिन आराम का सिध्दांत, पश्चिम से हमने ले लिया, वरना दफ्तर में काम कर करके कमर टूट जाती।
दूसरा- चाहे इसे पश्चिम का सिध्दांत कह लो, लेकिन भाई, इस सिध्दांत पर चलकर सुखी जीवन जीने का उदाहरण हमारे महाभारतकाल में पहले से मौजूद है।
पहला- क्या कहते हो ?
दूसरा- ठीक कह रहा हूँ। द्रोपदी का गृहस्थ जीवन याद करो।😜😂😂😂😛🤣