कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विधानसभा चुनावों के बीच में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को पांच वर्ष के लिए बढ़ाने की घोषणा करना आचार संहिता का सरासर उल्लंघन है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पूरी तरह से हताश और निराश प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के बीच में पीएम ग़रीब कल्याण योजना को पांच साल के लिए आगे बढ़ाने की घोषणा की। यह आदर्श आचार संहिता का सरासर उल्लंघन है।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या निर्वाचन आयोग इस पर ध्यान देगा और कार्रवाई करेगा।
रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए यह भी कहा, ‘‘अब यह पता चला है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अभी तक इस योजना को आगे बढ़ाने को मंजूरी नहीं दी है। वास्तव में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी इसी तरह से काम करते हैं। कैबिनेट का तो कोई महत्व ही नहीं है। पहले उनका ऐलान, उसके बाद कैबिनेट की मंजूरी। याद है, 8 नवंबर 2016 (की नोटबंदी)?’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘चाहे कुछ भी कहा जाए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ख़ुद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का रीब्रांड किया हुआ और नया स्वरूप है। मुख्यमंत्री के रूप में इस अधिनियम का मोदी जी ने काफ़ी विरोध किया था। अब पांच साल के लिए इसका विस्तार न केवल प्रधानमंत्री की कमज़ोर होती छवि को, बल्कि गहराते आर्थिक संकट और वित्तीय पीड़ा को भी दिखाता है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने चार नवंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कोविड-19 के दौरान शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच वर्ष के लिए बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा था, ‘‘जब कोरोना का संकट आया, तब गरीब की सबसे बड़ी चिंता थी कि वह अपने बच्चों को खाना क्या खिलाएंगे…तब मैंने तय किया किसी गरीब को मैं भूखे नहीं सोने दूंगा, इसलिए भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की.. यह योजना दिसंबर में पूरी हो रही है …देश के गरीब भाई बहनों को दुर्ग की धरती से बताना चाहता हूं कि मैंने निश्चय कर लिया है कि देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन देने वाली योजना को भाजपा सरकार अगले पांच साल के लिए और बढ़ाएगी।’’
– एजेंसी