बीएसएफ के स्थापना दिवस पर जीएनडीयू में परेड का आयोजन

जालंधर (एजेंसी/वार्ता) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने रविवार को 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर पंजाब के अमृतसर स्थित गुरु नानक देव विश्वविद्यालय स्टेडियम (जीएनडीयू) में एक औपचारिक परेड का आयोजन किया। बीएसएफ के इतिहास में पहली बार परेड के दौरान महिला ऊंट सवारों ने विशेष उपस्थिति दर्ज कराई।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रभावशाली परेड की सलामी ली।
उनके साथ श्री गुरजीत सिंह औजला, सांसद अमृतसर और डॉ जसबीर सिंह संधू, विधायक (पश्चिम) अमृतसर भी थे।
इस अवसर पर विशेष आमंत्रित लोगों में सेना, नागरिक प्रशासन, राज्य पुलिस और जीएनडीयू अमृतसर के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

श्री नित्यानंद राय ने ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले बीएसएफ के बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उन्होंने 1971 के युद्ध जैसी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं में बीएसएफ की भूमिका को याद किया, जब बीएसएफ कर्मियों ने प्रारंभिक अवस्था में होने के बावजूद संख्यात्मक रूप से बेहतर बल के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए सर्वोत्तम तकनीकी उपकरण और बुनियादी ढांचा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इससे पहले तीन दिसंबर को राज्य मंत्री ने जेसीपी अटारी का दौरा किया था, जहां उन्हें प्रसिद्ध संयुक्त रिट्रीट समारोह देखने के बाद औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

बाद में उन्होंने सेक्टर अमृतसर में बीओपी पुलमोरन का दौरा किया, जहां उन्हें बटालियन कमांडर द्वारा मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य और परिचालन पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होने सैनिक सम्मेलन के दौरान बीओपी पुलमोरन में सैनिकों को संबोधित किया और बीओपी में रात के लिए रुके।

ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले बीएसएफ बहादुरों के स्मारक पर आयोजित एक सम्मान समारोह में माल्यार्पण करने के बाद मुख्य अतिथि गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी स्टेडियम (अमृतसर) पहुंचे। इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह, आईपीएस ने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी वीरों को श्रद्धांजलि दी।

अपने संबोधन में बल के ऐतिहासिक पहलुओं को सारांशित करते हुए, डीजी बीएसएफ ने बीएसएफ की यात्रा का वर्णन किया, जो सिर्फ 25 बटालियनों के साथ उठने के बाद अब 193 बटालियनों के साथ और 2.65 लाख से अधिक बहादुरों की ताकत के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल के रूप में विकसित हुई है।

दुनिया की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ 6386.36 किमी की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर तैनात है। डीजी ने संचालन, खेल, साहसिक, कल्याण, पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में बीएसएफ के विभिन्न संरचनाओं और संस्थानों की उपलब्धियों पर भी जोर दिया।

श्री नित्यानंद राय, विशिष्ट अतिथियों, पूर्व सैनिकों, सीमा प्रहरी और उनके परिवारों का स्वागत करते हुए, डीजी बीएसएफ ने विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तान से ड्रोन घुसपैठ के मौजूदा खतरे को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का विशेष उल्लेख किया। पश्चिमी सीमा के बारे में और भारत-बीडी सीमा पर तस्करी गतिविधियों को रोकने के लिए की गई पहलों के बारे में भी उल्लेख किया।

उन्होने आश्वासन दिया कि हर सीमा प्रहरी देश की सीमाओं की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालकर भी प्रयास करेगा। मुख्य अतिथि ने उन बहादुरों के निकटतम परिजनों को वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया, जिन्होंने कर्तव्य और सेवारत कर्मियों की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान दिया तथा सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों को उनकी सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक दिए गए।

66 बटालियन को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित ‘जनरल चौधरी ट्रॉफी’ से सम्मानित किया गया। महानिदेशक का बैनर 48 बटालियन को, एलडब्ल्यूई संचालन के लिए डीजी का बैनर 76 बटालियन को, डीजी की वेलफेयर ट्रॉफी 135 बटालियन को और सर्वश्रेष्ठ फील्ड जी टीम के लिए डीजी की ट्रॉफी एफजीटी कोलकाता को प्रदान की गई।

सर्वश्रेष्ठ सीमा प्रबंधन के लिए महाराणा प्रताप ट्रॉफी फ्रंटियर बीएसएफ जम्मू को प्रदान की गई, जबकि खेल और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए अश्विनी ट्रॉफी फ्रंटियर बीएसएफ गुजरात को प्रदान की गई।
मुख्य अतिथि ने बल की वार्षिक ‘बॉर्डरमैन’ पत्रिका का विमोचन भी किया।

एजेंसी/वार्ता

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