पैनिक अटैक मेंटली डिसआर्डर है इसका समय पर इलाज न होने पर व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो सकती है

आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में लोग दिगामी रूप से अति व्यस्त हैं. इसका असर उनकी मनोदशा पर पड़ रहा है. एंग्जाइटी, डिप्रेशन ऐसा ही रोग है, जोकि अधिक दिमागी उथल पुथल के कारण होता है. पैनिक अटैक भी मेंटली टेंशन की एक गंभीर अवस्था होती है. पेनिक अटैक में व्यक्ति को अधिक भय, चिंता रहती है. यही भय और चिंता उसकी पूरी बॉडी में देखने को मिलती है. इससे व्यक्ति हर समय परेशान रहता है. किसी के भी आसपड़ोस में ऐसा व्यक्ति हो सकता है. इस कंडीशन में व्यक्ति कोई गलत कदम में भी उठा सकता है. ऐसे में जिसे पैनिक अटैक आया हो.

डिप्रेशन या मानसिक परेशानियों से जूझने वाला व्यक्ति अकेला रहना पसंद रहता है. इससे बीमारी ठीक नहीं होती, बल्कि और अधिक गंभीर होती जाती है. यदि आपके परिवार या आसपड़ोस में कोई व्यक्ति ऐसा दिख रहा है तो सबसे अधिक जरूरी है कि उसके साथ पारिवारिक सदस्य की तरह बातचीत की जाएं. उसके दर्द को अपना दर्द समझकर साझा करें.

यदि आपको कोई ऐसा दिखा है, जिसे पैनिक अटैक आया है. उसके साथ बैठें. उसे बताएं कि गहरी सांस लेकर छोड़नी है. दस तक गिनती करें और इस दौरान सांस गहरी लें. गहरी सांस लेने से धड़कनें नार्मल होने लगती हैं. इससे बहुत अधिक आराम मिलता है.

जिन लोगों को एंग्जाइटी, पैनिक अटैक होने जैसी परेशानियां होती हैं. वो रात को सही ढंग से सो नहीं पाते हैं. इसी कारण उनकी स्थिति और अधिक खराब हो जाती है. ऐसे लोगों को बताएं कि सात से आठ घंटे हर दिन सोना चाहिए. इससे एंग्जाइटी समेत अन्य परेशानियां भी धीरे धीरे खत्म हो जाती हैं. जिन लोगों का स्लीप साइकिल खराब होता है.

रेग्यूलर एक्सरसाइज, योगा बॉडी को फिट करते हैं. इससे जहां ब्रेन को अच्छी ऑक्सीजन मिल जाती है. वहीं, हार्ट की पंपिंग सही होने से पूरी बॉडी को ब्लड सप्लाई बेहतर होती है. एक और अच्छी बात यह है कि बॉडी में ब्लड की ठीक तरह से पंपिंग के लिए एंडोपिर्फन हार्माेन मदद करता है. व्यायाम इस हार्माेन में बढ़ोत्तरी होती है. यह मूंढ को खुश भी रखता है.

असंतुलित आहार जहां बॉडी को अनपिफट करता है. वहीं, ब्रेन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे चिड़चिड़ापन समेत अन्य समस्या हो सकती हैं. सुबह को नाश्ते में हेल्दी डाइट लेनी चाहिए.

अन्य रोगों की तरह पैनिक अटैक में लक्षण दिख सकते हैं. पूरी बॉडी में कंपकंपी होना, सांसों की स्पीड कम और अधिक होना, हार्ट अटैक आने जैसा महसूस होना, अचानक सांस फूलने लगना, घुटन महसूस होना, खुद से ही डर लगना, सीने में दर्द और अजीब सी बैचेनी जैसे लक्षण दिखते हैं.

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