लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन कई बार लिवर की कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है, और एक ऐसी समस्या उत्पन्न होती है जिसे कोलेस्टेसिस कहते हैं। यह एक गंभीर लिवर विकार है जिसमें बाइल जूस (पित्त रस) का प्रवाह धीमा या पूरी तरह रुक जाता है। बाइल जूस लिवर से निकलने वाला लिक्विड है जो पाचन में मदद करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालता है। इसका रुकना शरीर में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
कोलेस्टेसिस के लक्षण:
जॉन्डिस (पीलिया): त्वचा और आंखों का पीला पड़ना।
त्वचा पर खुजली: बिना कारण तेज और असहनीय खुजली।
डार्क यूरिन: पेशाब का गहरा रंग और दुर्गंध।
पेल स्टूल: मल का रंग हल्का होना।
थकान और कमजोरी: लगातार थकावट और ऊर्जा की कमी।
पेट दर्द: खासतौर पर पेट के दाईं ओर दर्द।
कोलेस्टेसिस के कारण:
गर्भावस्था: कुछ महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान यह समस्या हो सकती है।
लिवर संक्रमण: हेपेटाइटिस जैसे लिवर से जुड़े रोग इसका कारण बन सकते हैं।
गॉलस्टोन्स: पित्ताशय में पथरी से बाइल जूस का प्रवाह रुक सकता है।
दवाओं का अत्यधिक सेवन: कुछ दवाओं के अधिक उपयोग से लिवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कोलेस्टेसिस से बचाव के उपाय:
संतुलित आहार लें: अधिक तैलीय, मसालेदार और जंक फूड से बचें।
शराब का सेवन न करें: शराब लिवर को नुकसान पहुंचाती है।
नियमित जांच कराएं: समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाएं।
पर्याप्त पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है।
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
यदि आपको ऊपर दिए गए लक्षण महसूस हों, तो इसे नजरअंदाज न करें। कोलेस्टेसिस का सही समय पर इलाज न करवाने से लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है। लाइफस्टाइल में बदलाव और संतुलित खानपान अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।
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