जानिए,क्यों दी जाती है बादाम भिगोकर और छीलकर खाने की सलाह

बादाम वो खास ड्राई फ्रूट है जो एक साल से कम उम्र के बच्चों को भी खिलाया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि इतना छोटा बच्चा बादाम कैसे खा सकता है, उसके तो दांत भी नहीं होते! तो जनाब बच्चो को रातभर भिगोकर रखा गया बादाम सुबह छीलकर और घिसकर चटाया जाता है . यानी बादाम को एकदम लिक्विड फॉर्म में करके.

बादाम एक सूखा मेवा है और ज्यादतर ड्राई फ्रूट्स तासीर में गर्म होते हैं. बादाम भी बहुत गर्म होता है. इसलिए इसकी तासीर को शीतल करके संतुलन लाने के लिए भी इसे भिगोकर खाने की सलाह दी जाती है. इसके अतिरिक्त भी अन्य कई कारण हैं जो स्वास्थ्य से संबंधित हैं, जिनकी वजह से बादाम को रातभर पानी में भिगोकर और सुबह छीलकर खाने का सुझाव हेल्थ एक्सपर्ट्स देते हैं.

अब सवाल यह आता है कि आखिर बादाम को भिगोकर ही क्यों खाना चाहिए?

पहली बात तो यह कि बादाम के ब्राउन छिलके में जो छिलका स्किन की तरह बादाम पर चिपका रहता है, इसमें टेनिन नामक तत्व होता है. जो बादाम के डायजेशन में परेशानी खड़ी करता है.

टेनिन के कारण बादाम के सभी गुण शरीर को नहीं मिल पाते क्योंकि यह बादाम द्वारा एंजाइम्स को रिलीज करने में बाधा करता है. इसलिए बादाम खाने के बाद भी शरीर को इसके सभी गुण नहीं मिल पाते हैं.

बादाम को पानी में भिगोकर रखने से इसका छिलका उतारने में आसानी होती है और स्मूद टेक्सचर का आल्मंड खाकर इसके सभी पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं.
छिले हुए बादाम खाने से शरीर में जमा फैट को कम करने में भी मदद मिलती है. क्योंकि छिला हुआ बादाम लाइपेस नामक एंजाइम को रिलीज करता है, जो शरीर में बसा को जमने से रोकता है.

वजन कम करने में भी छिला हुआ बादाम बहुत अधिक लाभकारी होता है.

क्योंकि इससे रिलीज होने वाले एंजाइम्स और कार्ब्स पेट को लंबे समय तक फुल रखते हैं. ऐसे में आप एक्स्ट्रा कैलोरी खाने से बच जाते हैं और धीरे-धीरे वेट कंट्रोल से वेटलॉस की तरफ बढ़ने लगते हैं.

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