चोट लगने पर अक्सर सिंकाई करने की सलाह दी जाती है. कुछ लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि ठंडी सिंकाई करनी है या गर्म सिंकाई वैसे तो दोनों तरह की सिंकाई की जाती है लेकिन दोनों का काम अलग-अलग है. आइए जानते हैं दोनों सिंकाई में से कौन सी बेहतर है और कौन सी कब करनी चाहिए..
हीट थेरेपी को इस्तेमाल पुराने दर्द, जोड़ों के दर्द और जकड़न को ठीक करने में किया जाता है. इस तरह की समस्याओं से परेशान लोगों को गर्म पानी से नहाने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है और आराम मिलता है. हालांकि गहरी चोट लगने पर हीट थेरेपी न लेने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म सिंकाई से ब्लड सर्कुलेशन तेजी से बढ़ जाता है और मसल्स टिशू प्रभावित हो सकते हैं.
दर्द
मोच
क्रॉनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस
टेंडन में क्रोनिक इरीटेशन और उनका हार्ड हो जाना
पीठ के निचले हिस्से में दर्द
पीठ की चोट या दर्द
गर्दन में दर्द
कई बार चोट लगने पर बर्फ या ठंडे पानी से सिंकाई करने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से ब्लड का बहाव कम हो जाता है. इससे चोट वाली जगह सूजन और दर्द कम हो जाता है. ठंडे पानी या बर्फ से सिंकाई करने पर डैमेज टिशूज को आराम मिलता है। इससे सूजन और मांसपेशियों का दर्द कम हो जाता है.
क्रॉनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस
अंदरुनी चोट
गठिया
दर्द
चलने-दौड़ने या एक्सरसाइज के दौरान टेंडन में जलन
20 मिनट से ज्यादा कभी भी बर्फ से सिंकाई नहीं करनी चाहिए.
ज्यादा देर तक बर्फ से सिंकाई करने से तंत्रिका, स्किन और टिश्यू को नुकसान हो सकता है.
हार्ट पेशेंट को ठंडे पानी या बर्फ से सिंकाई नहीं करनी चाहिए.
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