जानिए ,अर्थराइटिस में टमाटर का जूस फायदेमंद है या नुकसानदेह

जब हम भोजन करते हैं तो उससे शरीर अवशोषित कर एनर्जी में बदल देता है. कुछ खाद्य पदार्थ में मौजूद प्रोटीन के टूटने से प्यूरिन का निर्माण होता है. यह प्यूरिन जब टूटता है तो यूरिक एसिड बनता है. ज्यादातर यूरिक एसिड किडनी से होते हुए पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा प्यूरिन शरीर में बनने लगे तो यह जोड़ों के पास जाकर जमा होने लगता है. इससे कई तरह की परेशानियां बढ़ जाती है. शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड होने से अर्थराइटिस यानी गठिा की बीमारी होती है.

कुछ ऐसे फूड हैं जिनके कारण यूरिक एसिड ज्यादा बनता है जबकि कुछ फूड शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा पर लगाम लगाते हैं. खाने-पीने की कई चीजों को लेकर हमेशा विवाद रहता है. कुछ लोगों का कहना है कि टमाटर गठिया यानी अर्थराइटिस की बीमारी में बहुत कारगर है. यह सूजन को घटाता है जबकि कुछ लोगों का कहना है कि टमाटर यूरिक एसिड को बढ़ा देता है.

टमाटर में मौजूद तत्व गठिया की परेशानी को और अधिक बढ़ा देता है. एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने टमाटर का अत्यधिक सेवन किया, उनमें यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ गई. इससे गठिया का दर्द भी बढ़ गया. लेकिन यह बात सभी लोगों पर लागू नहीं होती. इसके लिए जीन और इंसान की हेल्थ बहुत बड़ी भूमिका निभाती है. इसलिए टमाटर खाने के बाद सभी व्यक्तियों में यूरिक एसिड बढ़ जाए, यह संभव नहीं है.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब टमाटर खाने से किसी व्यक्ति में यूरिक एसिड बढ़ जाता है जबकि किसी व्यक्ति में नहीं बढ़ता है, तो यह कैसे तय करें कि किसको टमाटर खाना चाहिए और किसको नहीं. इसका सामान्य हल यही है कि 15 दिनों तक आप इस बात की जांच करें कि आपका यूरिक एसिड बढ़ता या नहीं और बढ़ता है तो कितना बढ़ता है. आप कुछ सप्ताह तक डाइट में टमाटर को शामिल न करें और यूरिक एसिड का टेस्ट करवाएं. इसके बाद टमाटर खाने के कुछ सप्ताह बाद भी टेस्ट कराएं और फिर जांच करें.

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