मानसून के समय की आम परेशानी होती है आंख आना यानी कि जिसे आई फ्लू कहते हैं. ये तकलीफ आंखों के लाल होने से शुरू होती है. और, उसके साथ आंखमें खुजली, चुभन और कई बार सूजन भी आ जाती है. आई फ्लू, जिसे कंटंक्टिवाइटिस भी कहते हैं, उसके होने की तीन अलग अलग वजह भी हो सकती हैं. आई फ्लू का खुद ही डॉक्टर बनने से बेहतर है पहले उसके सारे प्रकार समझ लें और बचाव के तरीके भी जान लें.
आई फ्लू के प्रकार
आई फ्लू सिर्फ एक ही तरह से नहीं होता. आई फ्लू के तीन अलग अलग प्रकार होते हैं. आई फ्लू बैक्टीरियल भी होता है. इसके अलावा आई फ्लू वायरस से भी आई फ्लू होता है. किसी किसी को इस मौसम में एलर्जी के चलते भी आई फ्लू हो जाता है.
आई फ्लू से बचने के तरीके
आई फ्लू से बचने का सबसे कारगर तरीका है अपने हाथों की और अपने आस पास की सफाई रखना. आई फ्लू का इंफेक्शन हाथों के जरिए सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए हाथों को बार बार धोने की सलाह दी जाती है. अगर किसी आई फ्लू वाले व्यक्ति के संपर्क में आ जाते हैं और इसका शिकार हो जाते हैं सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें. कॉन्टेक्ट लेंस लगाते हैं उसका उपयोग कुछ समय के लिए बंद कर दें. लोगों के बीच में कुछ दिन न जाएं. पूल और पार्टियों से भी दूर रहें.
आई फ्लू का इलाज
आई फ्लू का इलाज इस बात निर्भर करता है कि वो किस तरह का आई फ्लू है. अगर वायरल आई फ्लू है तो वो सेल्फ लिमिटिंग टाइप का आई फ्लू होता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है. लेकिन उसमें भी पेन रिलिवर और जरूरी दवाएं दी जाती हैं. बैक्टीरियल और एलर्जिक आई फ्लू की जांच के बाद उसका ट्रीटमेंट किया जाता है. इसके साथ ही आंखों में ठंडी सिकाई भी की जा सकती है.
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