दिल शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. अगर यह धड़कना बंद हो जाए तो जिंदगी खत्म हो सकती है, वही कोविड के बाद से नौजवानों के साथ-साथ बच्चों में भी हार्ट अटैक की समस्या शुरू हो गई है. चौंकें नहीं ये बिल्कुल सच है. बच्चों को भी हर्ट अटैक हो सकता है. हालांकि ये बहुत ही रेयर है..दरअसल बच्चों में ये समस्या जन्मजात गड़बड़ियों की वजह से भी हो सकती है और अनुवांशिक गड़बड़ी की वजह से भी हो सकती है.
शरीर में जब खून का ब्लॉकेज हो जाता है तो दिल की मांसपेशियां सही तरीके से नाम काम नहीं करती है जिसकी वजह से हार्ट अटैक की समस्या हो जाती है.
बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या इसलिए भी देखने को मिल रही है क्योंकि काफी लंबे समय तक बच्चे बिना खाए पिए वक्त बिता देते हैं, जिसकी वजह से उनके शरीर में मेटाबॉलिक रेट खराब हो रहा है और हाइपोग्लाइसीमिया की वजह से बच्चों में हार्टअटैक की समस्या बढ़ रही है.
कोरोना की वजह से बच्चों का बाहरी दुनिया से इंटरेक्शन खत्म हो चुका है, जिस वजह से उनका शारीरिक विकास नहीं हो रहा है, लंबे समय तक बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते रहते हैं. इस वजह से भी बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिल रही है, डॉक्टर्स के मुताबिक मोबाइल का एडिक्शन बच्चों के दिमाग को कमजोर बना देता है जिसके कारण बच्चा तनाव में रहने लगता है और ऐसे में स्थितियां खराब हो जाती है
लंबे समय तक इंटरनेट का इस्तेमाल कई बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे मोटापे की समस्या होना, फिटनेस पर ध्यान ना देना हार्ट अटैक का कारण बन सकता है.
बच्चे इंटरनेट और गेमिंग के इतने एडिक्ट हो गए हैं कि उन्हें समय का पता भी नहीं चलता और वक्त पर सोने की आदत भी खत्म हो गई है , जिस वजह से भी दिल की बीमारी का खतरा बना रहता है.
आंकड़े बताते हैं कि भारत में बच्चे गेहूं, दाल चावल और मोटा अनाज छोड़कर जंक फूड खा रहे हैं, हाल ही में जारी किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भारत ने 5 साल से कम उम्र के 3.30 फ़ीसदी बच्चे मोटापे के शिकार हैं.
एक वक्त था जब डायबिटीज और दिल की बीमारियों को लोगों की बढ़ती उम्र के साथ जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन अगर आपके बच्चे अन हेल्थी लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों से घिर चुके हैं तो भी यह आपके बच्चे को दिल का मरीज बना सकता है.
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