नाक-कान छिदने की परंपरा सालों पुरानी है. आज भले ही ये एक स्टाइल स्टेटमेंट बन गया हो, लेकिन भारत में पुरानी महिलाएं भी खूब पियर्सिंग कराती रही हैं. नाक-कान छिदवाने के बाद अगर ठीक से ध्यान न रखा जाए तो ये पक जाते हैं और संक्रमण पैदा करते हैं. कई बार अगर आप लोहा या किसी अन्य धातु से बने ईयररिंग या नोज पिन पहन लेते हैं तो भी संक्रमण खुजली और दर्द होने लग जाता है.
संक्रमण ज्यादा होने पर सूजन, लालिमा, ब्लीडिंग, त्वचा की पपड़ी जैसी परेशानियां होने लगती हैं. इसमें काफी दर्द होता है. अगर आपको भी ऐसी परेशानी हो रही है तो घबराएं नहीं.
नारियल का तेल- अगर आपने कान-कान छिदवाएं हैं तो उसमें नारियल का तेल हल्का गर्म करके लगाते रहें. इससे दर्द में आराम मिलेगा और त्वचा पकेगी नहीं. इससे संक्रमण भी दूर होगा.
नीम की डंडी- नीम में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे संक्रमण दूर रहता है. अगर आपने पियर्सिंग कराई है और वो पक रही है तो आप उसमें नीम की सूखी और पतली डंडी डाल सकते हैं.
ओस की बूंद- अगर आपके छिदे हुए कान में दर्द हो या फिर सूजन आ गई हो तो आप सुबह-सुबह ओस की बूंदे उस जगह पर लगा लें.
सरसों का तेल- सरसों के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे कान या नाक के छेद में आई सूजन दूर हो जाती है. अगर दर्द है तो उसमें भी राहत मिलती है. आप हल्का गर्म करके सरसों का तेल लगाएं.
वार्म कंप्रेस- वार्म कंप्रेस से सूजन दूर हो जाती है. इसके लिए कॉटन के कपड़े को गर्म पानी में भिगो लें और इससे नाक-कान की सिकाई करें. इससे दर्द में आराम मिलेगा.
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