सरसों का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय घरों में खासतौर से किया जाता है. अलग-अलग पकवानों में इसे डाला जाता है. भारतीय व्यंजनों का स्वाद इसके बिना अधूरा है. अपने बेहतरीन स्वाद, उपचार शक्तियों और फायदों की वजह से सरसों का देशभर में अलग-अलग तरीकों से सेवन किया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि चाहे पेस्ट के रूप में हो या तेल के रूप में, सरसों हर रूप में आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स से भरपूर होता है. यह ओमेगा-3 फैटी एसिड का भी एक अच्छा सोर्स है और तो और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं. सरसों के सेवन से मांसपेशियों और गठिया के दर्द से राहत मिल सकती है.
सरसों के दुष्प्रभाव
भले ही सरसो में कई रोगों को दूर करने की क्षमता हो, लेकिन इनका ज्यादा सेवन करने से कई शारीरिक समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं. आइए जानें कि सरसों का ज्यादा सेवन करने से शरीर पर क्या-क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं.
एलर्जी: फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, हर साल लगभग 30,000 अमेरिकियों को गंभीर फूड एलर्जी की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, जिनमें से करीब 200 लोग अपनी जान गंवा देते हैं. डॉक्टरों कहते हैं कि सरसों की एलर्जी सबसे गंभीर एलर्जी में से एक मानी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे खाने से हिस्टामाइन में बढ़ोतरी हो सकती है और तो और एनाफिलेक्टिक शॉक भी हो सकता है.
सरसो से होने वाली एलर्जी
त्वचा पर दाने
सांस फूलना और घरघराहट होना
चक्कर आना
मतली आना, उल्टी होना
चेहरे, आंखों और गले में सूजन
दिल की बीमारी: हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, सरसों के तेल में इरूसिक एसिड का लेवल हाई होता है, जो आपके दिल के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. सरसों का ज्यादा सेवन करने से मायोकार्डियल लिपिडोसिस या दिल के फैटी डिजनरेशन के नाम से पहचाने जाने वाली समस्या हो सकती है, जिसमें ट्राइग्लिसराइड्स के निर्माण की वजह से दिल की मांसपेशियों के मायोकार्डियल फाइबर में फाइब्रोटिक जख्म पैदा होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ये समस्या दिल की मांसपेशियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है और हार्ट फेलियर का कारण भी बन सकती है.
फेफड़ों के कैंसर का खतरा: सरसों के तेल में मौजूद इरूसिक एसिड फेफड़ों की दिक्कत भी पैदा कर सकता है. सरसों रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, सरसों के तेल का ज्यादा या लंबे लमय तक सेवन करने से आपको फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, जो एक खतरनाक बीमारी है.
प्रेग्नेंसी में बढ़ती हैं मुश्किलें: हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाओं को सरसों के तेल या काले सरसों के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए. क्योंकि इनमें कुछ केमिकल कंपाउंड्स होते हैं, जो बच्चे के लिए हानिकारक होते हैं. ऑक्सफोर्ड द्वारा किए गए और यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश एक स्टडी की मानें तो सरसों में मौजूद केमिकल से गर्भपात भी हो सकता है.
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