अश्वगंधा एक सदाबहार औषधि पौधा है जो एशिया और अफ्रीका में उगता है. इसका उपयोग आयुर्वेदिक और यूनानी उपचार के लिए किया जाता है. यह आमतौर पर तनाव के लिए प्रयोग किया जाता है. अश्वगंधा में ऐसे रसायन होते हैं जो मस्तिष्क को शांत करने, रक्तचाप कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं. अश्वगंधा को परंपरागत रूप से एडाप्टोजेन के रूप में उपयोग किया जाता है, इसलिए इसका उपयोग तनाव से संबंधित कई बीमारियों के लिए किया जाता है.
वेबएमडी के मुताबिक अश्वगंधा से अनिद्रा की समस्या दूर होती है. इससे लोगों में नींद में सुधार होता है. यह तनाव को कम करने में भी कारगर होता है. अश्वगंधा खाने से लोगों को तनाव कम करने में मदद मिलती है. यह तनाव से संबंधित वजन को कम करने में भी मदद कर सकता है.
अश्वगंधा को 3 महीने तक उपयोग किए जाने पर यह संभवतः सुरक्षित होता है. लेकिन अश्वगंधा के लंबे समय तक सेवन से पेट खराब, दस्त और उल्टी हो सकती है. कभी- कभी इससे लीवर की समस्याएं भी हो सकती हैं.
बिना किसी डॉक्टर के सलाह के अश्वगंधा का सेवन लंबे समय तक नहीं करना चाहिए. गर्भवती होने पर अश्वगंधा का उपयोग करना असुरक्षित हो सकता है. कुछ सबूत ऐसे भी मिले हैं कि अश्वगंधा गर्भपात का कारण भी बन सकता है. अभी तक के रिसर्च में यह जानने के लिए पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी नहीं है कि क्या स्तनपान के दौरान अश्वगंधा का उपयोग करना सुरक्षित है या नहीं. इसलिए स्तनपान के समय इसके सेवन से बचें. अन्य रोग जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस, ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया , या अन्य स्थितियों में अश्वगंधा प्रतिरक्षा प्रणाली को और अधिक सक्रिय होने का कारण बन सकता है और यह लक्षणों को बढ़ा सकता है.
अश्वगंधा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को धीमा कर सकता है. सर्जरी के दौरान और बाद में एनेस्थीसिया और अन्य दवाएं इस प्रभाव को बढ़ा सकती हैं. इसलिए निर्धारित सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले अश्वगंधा लेना बंद कर दें. इसके अलावा अश्वगंधा थायराइड हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है.
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