बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान भारतीय धुन बजाए जाएंगे

गणतंत्र दिवस समारोह के औपचारिक समापन के मौके पर रायसीना हिल्स पर सोमवार को आयोजित होने जा रहे ‘बीटिंग रिट्रीट’ में सेना और अद्धसैनिक बलों के बैंड पूर्ण रूप से भारतीय धुन बजाएंगे।

यह समारोह राष्ट्रीय राजधानी में विजय चौक पर होगा और इसी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का भी औपचारिक समापन हो जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि रायसीना हिल्स ‘पूर्ण रूप से भारतीय धुनों का गवाह बनेगा’ जो 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान बजाया जाएगा।

इसके मुताबिक ”भारतीय थलसेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड विशिष्ट दर्शकों के सामने 31 मनमोहक और झूमने को मजबूर करने वाली भारतीय धुन बजाएंगे।”

दर्शकों में राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कई अन्य केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और आम जनता शामिल होगी।

मंत्रालय ने बताया कि समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की ‘शंखनाद’ धुन के साथ होगी, जिसके बाद पाइप और ड्रम बैंड द्वारा ‘वीर भारत’, ‘संगम दूर’, ‘देशों का सरताज भारत’, ‘भागीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसी मनमोहक धुन बजाई जाएगी।

सीएपीएफ के बैंड ‘भारत के जवान’ और ‘विजय भारत’ बजाएंगे।

बयान के मुताबिक,” भारतीय वायुसेना के बैंड ‘टाइगर हिल’, ‘रेजॉइस इन रायसीना’ और ‘स्वदेशी’ के धुन बजाएंगे जबकि भारतीय नौसेना के बैंड के ‘आईएनएस विक्रांत’ ‘मिशन चंद्रयान’, ‘जय भारती’ और ‘हम तैयार हैं’ सहित कई धुनों का श्रोता आनंद लेंगे।”

इसके बाद, भारतीय थलसेना का बैंड ‘फौलाद का जिगर’, ‘अग्निवीर’, ‘कारगिल 1999’ और ‘ताकत वतन’ का सहित कई धुन बजाएगा।

बयान के मुताबिक, इसके बाद सामूहिक बैंड ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘ड्रमर्स कॉल’ की धुन बजाएंगे। कार्यक्रम का समापन लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ से होगा।

समारोह के मुख्य संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी होंगे।

बयान के मुताबिक, ”सेना के बैंड का नेतृत्व सूबेदार मेजर मोती लाल करेंगे, एमसीपीओ एमयूएस2 एम एंटनी और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार क्रमश भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के बैंड का नेतृत्व करेंगे। सीएपीएफ बैंड की कमान कांस्टेबल जीडी रानीदेवी के हाथ में होगी।”

‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत 1950 में तब हुई जब भारतीय थलसेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी तरीके से विकसित किया।

– एजेंसी