भारत के स्टार्टअप्स की उड़ान: 2024 में यूनिकॉर्न बनने का समय फिर बढ़ा

भारत का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र लगातार विकसित हो रहा है, और कई कंपनियों ने 1 अरब डॉलर मूल्य का जादुई आंकड़ा पार कर यूनिकॉर्न बनने का गौरव हासिल किया है। लेकिन यह सफलता किसी जादू से नहीं मिली, बल्कि इसके पीछे सालों की मेहनत और संघर्ष छिपा है।

2019 तक यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स को औसतन 10 साल का समय लगता था, लेकिन 2023 में यह औसत घटकर 5 वर्ष रह गया। इसका कारण था वेंचर कैपिटल (VC) और प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेशकों का पैसा, जिन्होंने कंपनियों के मुनाफे की परवाह किए बिना उनमें जमकर निवेश किया। लेकिन 2024 में स्थिति बदल गई, जब इन निवेशकों ने हाथ खींचना शुरू किया, और यूनिकॉर्न बनने की औसत अवधि फिर बढ़कर 9.5 साल हो गई।

अमेरिका में हालात अलग, स्टार्टअप्स तेजी से बने यूनिकॉर्न!
स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के एक अध्ययन के मुताबिक, अमेरिका में स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न बनने में औसतन 3.4 वर्ष लग रहे हैं, जबकि पहले यह समय 6.6 वर्ष था। यानी भारत में जहां यूनिकॉर्न बनने का समय बढ़ रहा है, वहीं अमेरिका में स्टार्टअप्स तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

भवीश अग्रवाल की सफलता: ओला कृत्रिम और ओला इलेक्ट्रिक रिकॉर्ड समय में बने यूनिकॉर्न!
कुछ स्टार्टअप्स ने बेहद कम समय में यूनिकॉर्न बनने का इतिहास रचा है। ओला के संस्थापक भवीश अग्रवाल ने ओला कृत्रिम और ओला इलेक्ट्रिक को क्रमशः 1 और 2 वर्षों के अंदर यूनिकॉर्न बना दिया। यह सॉफ्टबैंक द्वारा किए गए बड़े निवेश की वजह से संभव हुआ।

तेजी से बढ़ते स्टार्टअप्स: 1-2 साल में बने यूनिकॉर्न!
2019 से 2024 के बीच कुछ स्टार्टअप्स ने बिजनेस मॉडल के दम पर रिकॉर्ड समय में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया:

फिजिक्सवाला – ऑनलाइन शिक्षा (JEE, NEET)
मेन्सा ब्रांड्स – ई-कॉमर्स ब्रांड अधिग्रहण
ग्लांस – मोबाइल लॉकस्क्रीन कंटेंट
यूबी और जेईई – ऑनलाइन लोन कारोबार
2021: स्टार्टअप्स के लिए गोल्डन ईयर!
2021 भारत में स्टार्टअप्स के लिए सबसे बेहतरीन साल रहा, जब कई बड़ी कंपनियां बहुत कम समय में यूनिकॉर्न बन गईं:

कॉइनडीसीएक्स
क्रेड
जेटविर्क
भारतपे
मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL)
संघर्ष की कहानियां: कुछ स्टार्टअप्स को लगे दो दशक!
हर स्टार्टअप को तेजी से सफलता नहीं मिली। कुछ को यूनिकॉर्न बनने में एक दशक से ज्यादा का समय लग गया:

जोहो (Zoho) – 1996 में शुरू, 23 साल बाद 2019 में यूनिकॉर्न
पाइन लैब्स – 22 वर्षों में बना यूनिकॉर्न
मोल्बियो डायग्नॉस्टिक्स – 22 साल बाद सफलता
फ्रैक्टल एनालिटिक्स – एआई डेटा एनालिटिक्स में 22 साल बाद यूनिकॉर्न
गेम्स24×7 – 16 साल में बनी 1 अरब डॉलर की कंपनी
स्टार्टअप्स के लिए बदलते दौर
भारत में वेंचर कैपिटल निवेश कम होने के कारण यूनिकॉर्न बनने की प्रक्रिया धीमी हो गई है। हालांकि, छोटे समय में सफलता पाने वाले स्टार्टअप्स ने नई उम्मीद जगाई है। आने वाले सालों में भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम फिर से नई ऊंचाइयों को छू सकता है।

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