हेल्थ और फिटनेस के लिए जैसे-जैसे युवाओं में जागरूकता बढ़ रही है, गुड़ की डिमांड भी बढ़ रही है. क्योंकि ज्यादातर लोग जब भी वेटलॉस और मसल्स बिल्डिंग पर काम करना शुरू करते हैं, वे रिफाइंड शुगर को छोड़कर गुड़ पर शिफ्ट हो जाते हैं. क्योंकि गुड़ एक नैचरल स्वीटनर है. ये लगभग चीनी के बराबर ही कैलरी देता है लेकिन शरीर को वैसे नुकसान नहीं देता है, जैसे कि रिफाइंड शुगर से मिलते हैं. गुण के इन गुणों के बारे में तो आपने पहले भी पढ़ा और सुना होगा.
आपको कभी भी नए गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए. हमेशा एक साल पुराना गुड़ यूज करना ही हेल्दी माना जाता है. ऐसा इसके गुणों में हुए बदलाव के आधार पर कहा जाता है.आप चाहें तो इस बदलाव को खुद भी महसूस कर सकते हैं. जैसे, जब आप नया गुड़ खाते हैं तो आपको ये खाने में मीठे के साथ ही अधिक सॉल्टी यानी नमकीन भी लगता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर्स और घर में दादी-नानी भी पुराना गुड़ खाने की ही सलाह देते हैं क्योंकि ये डायजेशन को बूस्ट करने का काम करता है. जबकि नया गुड़ पाचन को नुकसान पहुंचा सकता है. नया गुड़ शरीर में कफ की मात्रा बढ़ा सकता है और शरीर में गर्मी भी बढ़ा सकता है. जबकि पुराना गुड़ कफ से बचाव करता है और शरीर में जरूरी शीतलता को बनाए रखता है.
गुड़ हमेशा इसका रंग देखकर खरीदना चाहिए. सफेद और एकदम नया-सा दिखने वाला गुड़ खरीदने से बचें. हमेशा गोल्डन ब्राउन कलर का गुड़ ही खरीदें.
क्योंकि गुड़ को सफेद या लाइटर कलर में दिखाने और इसकी चमक बढ़ाने के लिए केमिकल्स का यूज किया जाता है.
एक गिलास में पानी लें और एक छोटा पीस गुड़ का लें.
अब इस गुड़ को पानी में चम्मच की मदद से घोल लें.
यदि पानी के ऊपर या पानी की तली में सफेद रंग की परत जमा हो जाती है तो समझ जाएं कि इस गुड़ में कैल्शियम कार्बोनेट मिलाया गया है, जो कि गुड़ को सफेद और शाइनी दिखाने के लिए यूज किया जाता है. आपको इस गुड़ का यूज नहीं करना है.
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