अगर प्रेग्नेंसी में आ रही है समस्या तो अपनाये ये टिप्स

शादी के कुछ टाइम बाद सभी कपल बच्चा प्लान करना चाहते हैं. शादी के कितने साल बाद बच्चा प्लान करना है,ये सभी कपल्स का अपना अलग निर्णय होता है. लेकिन ये हर बार जरूरी नहीं होता है कि आप जब बच्चा प्लान करना चाहें तब प्रेग्नेंसी हो जाए. कई बार कपल्स को बच्चे की चाहत में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है.

आपके पीरियड्स कितने दिन पर आते हैं यानी आपका साइकल 28 दिन का है या 30 दिन का. इस पर ध्यान दें और फिर पीरियड होने के बाद 13 से 18वें दिन के बीच संबंध जरूर बनाएं. क्योंकि इस दौरान एग काफी अच्छी मात्रा में बनते हैं और प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है.

प्रेग्नेंसी प्लान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इंटरकोर्स के तुरंत बाद क्लीनिंग के लिए ना जाएं, तुरंत वॉश ना करें. ये काम आप 25 से 30 मिनट बाद कर लें. साथ ही किसी भी तरह की पिल्स और कॉन्ट्रासेप्टिव, जिनका आप लगातार यूज कर रहे थे, उनके यूज को पूरी तरह बंद कर दें और इसके एक-दो महीने बाद ही बेबी प्रेग्नेंसी की प्लान करें.

एग और स्पर्म की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, एम्ब्रियो उतना ही हेल्दी बनेगा. और एम्ब्रिया जितना हेल्दी होगी, बच्चा भी उतना ही हेल्दी होगा. इसलिए एग क्वालिटी इंप्रूव करने, फर्टिलिटी बढ़ाने और प्रेग्नेंसी के चांस बेहतर करने के लिए बच्चा प्लान करने के करीब 3 महीने पहले से ही फोलिक एसिड की टैबलेट्स या कैप्सूल्स लेना जरूर शुरू कर दें.

यदि आपको टीबी, पेट की सर्जरी, सिस्ट, अनियमित पीरियड्स जैसी कोई भी समस्या है तो आप समय पर इसका इलाज कराएं. महिलाओं को यूट्रस एरिया में होने वाली सिस्ट की समस्या हमेशा प्रेग्नेंसी में बाधा नहीं बनती है. इसलिए खुद से कुछ ना सोचें बल्कि सही समय पर सही इलाज कराएं.

प्रेग्नेंसी होने के बाद तो सभी लोग चेकअप कारते हैं और डॉक्टर से कंसल्ट करते हैं. लेकिन आइडियल कंडीशन ये है कि आप बेबी प्लानिंग से पहले भी डॉक्टर से एक बार कंसल्ट करें और अपनी जरूरी जांचें कराएं. कुछ महिलाओं को फेलोपियन ट्यूब संबंधी समस्याओं के चलते भी प्रेग्नेंसी में दिक्कत आती है, जबकि ये दिक्कत किसी जांच वगैरह में सामने नहीं आ पती हैं. इनका टेस्ट सिर्फ पीरियड्स के दौरान हॉर्मोनल लेवल जांच के जरिए ही होता है.

डायट पर ध्यान दें. यदि आपकी डायट हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर होती है तो एग क्वालिटी और स्पर्म क्वालिटी बेहतर रहती है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ती है.

बहुत अधिक बढ़ा हुआ वजन भी प्रेग्नेंसी में समस्या पैदा करता है. यदि आप बेबी प्लान करना चाहते हैं तो सबसे पहले वेट कंट्रोल करने पर ध्यान दें. इसके लिए योग एक्सपर्ट्स की मदद ले सकते हैं. सिर्फ बढ़ा हुआ वजन ही नहीं बल्कि वजन का बहुत कम होना भी प्रेग्नेंसी में दिक्कत कर सकता है.

फिजिकली ऐक्टिव रहना हेल्दी रहने के लिए बहुत जरूरी होता है. इसलिए सोने-जागने का समय निर्धारित करने के साथ ही डेली लाइफ में फिजिकली ऐक्टिव रहने पर भी ध्यान दें. इससे हॉर्मोनल बैलेंस रखने में मदद मिलती है.

प्रेग्नेंसी में तनाव यानी स्ट्रेस एक बड़ी बाधा बन सकता है. इसलिए स्ट्रेस फ्री रहें. क्योंकि तनाव हॉर्मोन्स का असंतुलन बढ़ाता है. इसलिए प्रेग्नेंसी के लिए भी तनाव से बचने की जरूरत होती है.

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