आंखें बॉडी का सबसे अधिक सेंसटिव पार्ट हैं. यदि आपको एलर्जी है तो इसका प्रभाव आंखों पर पड़ता है. शुगर तो इसका सीधा असर आंखों पर होता है. कमजोरी आ रही है तो आंखों की रोशनी कमजोर होती है. ऐसे ही अलग अलग तमाम फैक्टर आंखों को परेशान करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि थाइराइड के गड़बड़ होने से आंखों के बीमार होने का सीधा कनेक्शन है. डॉक्टरों का कहना है कि बॉडी में हाइपरथायरायडिज्म की समस्या बनी हुई है तो इससे आंखें सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती हैं.
थाइराइड की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लंबे समय तक थाइराइड अनियंत्रित है तो इससे ब्लाइंडनेस की समस्या भी हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर मोनोपोज की अवस्था से गुजरने वाली महिलाओं में आंखों के सूखेपन की समस्या झेलनी पड़ती है. थाइराइड से आंखों में ऑटो इम्यून डिसआर्डर होता है. इसमें थायराइड रिसेप्टर्स के खिलाफ ऑटोएंटीबॉडी, ऑर्बिटल फाइब्रोब्लास्ट को एक्टिव कर देता है. इससे यह आंखों की स्वस्थ्य टिश्यू को नुकसान पहुंचाता है. परेशानी बढ़ने पर यही अंधापन का कारण बनती है.
बचपन में आंखों के सूखेपन की समस्या बेहद कम देखने को मिलती है. उम्र बढ़ने के साथ ही आंखों में ड्राईनेस की समस्या होने लगती हैं. कुछ लोगों में यह समस्या बेहद कॉमन हो जाती हैं. हालांकि इन सबके अलावा कुछ बीमारियों में भी ड्राई आइज की समस्या झेलनी पड़ सकती है. इनमें एलर्जी, थाइराइड, सजोग्रेन सिंड्रोम, रुमेटीइड गठिया का होना और विटामिन ए या विटामिन डी की कमी भी आंखों के सूखेपन का कारण बन सकते हैं.
दो पहिया वाहन चलाते समय चश्मा या हेलमेट जरूर पहनें, खुले में भी धूप का चश्मा पहनकर रखें. कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल चलाते समय आंखों को आराम दें, धुम्रपान न करें और स्मोकिंग या अन्य धुएं के आसपास न रहें, पानी अधिक पीएं, किताब पढ़ते समय कुछ मिनट का आराम आंखों को दिलाएं, एयरकंडीशन या पंखे की सीधी हवा आंखों को न लगें, आंखों को साफ पानी के छपके से दिन में एक या दो बार साफ कर लें.
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