हरियाणा के कारोबारी धान की सरकारी खरीद को कर रहे हैं प्रभावित

सहारनपुर (एजेंसी/वार्ता) धान की खेती के मामले में अव्वल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर मंडल के किसानो का पड़ोसी राज्य हरियाणा के प्रति रूझान सरकारी खरीद के लक्ष्य पूर्ति के इंतजार को लंबा कर रहा है किसान अपनी धान की उपज को हरियाणा में बेचना बेहतर समझता है, शायद इसी वजह से सहारनपुर मंडल धान की खरीद में लक्ष्य से बहुत पीछे है।

धान की सरकारी खरीद एक अक्टूबर से शुरू हुई थी जो 21 जनवरी तक चलनी है। लेकिन बाजार में धान की कीमत सरकारी समर्थन मूल्य से ज्यादा है दूसरे पड़ौसी राज्य हरियाणा के कारोबारी एक तो ऊंचे दामों पर धान की खरीद कर रहे हैं और दूसरे तरह-तरह की सुविधाएं यहां के किसानों को मुहैया कराते हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सामान्य किस्म के धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2040 रूपए प्रति क्विंटल और ए श्रेणी के धान का मूल्य 2060 रूपए प्रति क्विंटल है कृषि अधिकारियों के मुताबिक सहारनपुर जनपद में धान का कुल क्षेत्रफल 58 हजार हेक्टेयर है।

लेकिन किसानों ने 48 हजार हेक्टेयर भूमि में बासमती का धान उपजाया। सरकार बासमती की खरीद नहीं करती है क्योंकि बाजार भाव ही 3500 से 3600 रूपए प्रति क्विंटल है सहारनपुर खाद्य विपरण अधिकारी संजीव राय ने बताया कि सहारनपुर जिले में 26 नवंबर तक 1769.49 मीट्रिक टन की खरीद हो सकी है।

जिले में 1500 पंजीकृत किसान हैं उनमें से 454 किसान ही सरकारी क्रय केंद्रों पर पहुंचे पिछले वर्ष इस अवधि में 8011.72 मीट्रिक टन धान खरीदा गया था इस बार सहारनपुर जनपद में सरकारी धान खरीद का लक्ष्य 13300 मीट्रिक टन है जिले में 24 क्रय केंद्रों पर धान की खरीद हो रही है।

आरएफसी आशीष कुमार आईएएस के मुताबिक मुजफ्फरनगर जनपद में धान खरीद के नौ केंद्र हैं और वहां धान खरीद का लक्ष्य 4000 मीट्रिक टन है लेकिन वहां के जिला खाद्य विपणन अधिकारी कमलेश सिंह ने आज बताया कि अभी तक मुजफ्फरनगर जिले में 668.6 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है जो लक्ष्य का मात्र 16.72 प्रतिशत है।

शामली जिले का भी कार्यभार देख रहे कमलेश सिंह ने बताया कि शामली में धान खरीद का लक्ष्य 500 मीट्रिक टन है और वहां सात सरकारी क्रय केंद्र हैं। वहां पर अभी तक मात्र 10 किसानों से 18.76 मीट्रिक टन धान ही खरीदा जा सका है जो लक्ष्य का मात्र 3.75 फीसद है।

शामली में धान की कम मात्रा में सरकारी धान की खरीद का कारण वहां के किसानों का हरियाणा में जाकर कारोबारियों को धान बेचना है। कारोबारी किसानों को तत्काल नकद भुगतान करते हैं जबकि सरकारी खरीद केंद्रों पर धान बेचने वालों को कम से कम 72 घंटे का समय लगता है। यह जानकारी भी सामने आई है कि हरियाणा के कारोबारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश यानि सहारनपुर मंडल के ज्यादातर किसानों को अग्रिम भुगतान दे देते हैं

ज्यादातर मामलों में वे खेतों से ही धान खरीद कर ले जाते हैं सरकारी खरीद केंद्रों पर धान की क्वालिटी एवं नमी आदि का सख्ती से परीक्षण होता है जबकि व्यापारी आंख मूंदकर किसानों का धान खरीदता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सहारनपुर मंडल में इस बार लक्ष्य का आधा भी धान खरीदा ना जा सकेगा।

एजेंसी/वार्ता

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