नया आयकर अधिनियम: केंद्रीय बजट 2025-26 में भारतीय मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने के बाद, सरकार इस सप्ताह एक नया आयकर विधेयक पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो संपूर्ण कर प्रणाली को और सरल बनाएगा, तथा व्यापक सुधार लाएगा।
देश में मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 में लागू किया गया था और अब, मौजूदा कानून की जगह 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से नया आयकर अधिनियम बनाया जा रहा है, यह जानकारी सूत्रों ने दी है।
संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश को एक नई आयकर व्यवस्था की जरूरत है और इसके लिए एक विधेयक इसी सत्र में पेश किया जाएगा – पूरी संभावना है कि 6 फरवरी को।
देश में नए आयकर कानून के लिए एक समीक्षा समिति का गठन किया गया था, जो पहले के जटिल कानून की जगह लेगा। सूत्रों के अनुसार, समिति की सिफारिश पर सरकार ने नया आयकर विधेयक तैयार किया है।
तकनीक और डिजिटलीकरण के इस दौर में करदाता कई काम खुद ऑनलाइन कर सकते हैं। ऐसे में नए आयकर विधेयक में आम आदमी के लिए सहज बदलाव होंगे, जिससे वह इसे ऑनलाइन आसानी से समझ सकेगा। यह व्यवस्था को आम लोगों के लिए सरल और सुविधाजनक बनाने का प्रयास है। सूत्रों की मानें तो यह विधेयक 6 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। इस विधेयक के सरलीकरण को इस तरह से समझा जा सकता है कि पुराने आयकर अधिनियम में करीब 6 लाख शब्द थे, जिन्हें नए विधेयक में घटाकर करीब 3 लाख कर दिया जाएगा, ताकि करदाताओं को समझने में आसानी हो।
सरकार नए आयकर विधेयक की भाषा को सरल बनाने पर काम कर रही है। दरअसल, मौजूदा आयकर नियमों में एक नियम की व्याख्या अलग-अलग हो सकती है, जिससे करदाताओं को भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। पहले के आयकर कानून में कई बार बदलाव किए गए और कई नए नियम जोड़े गए, जिससे यह आम आदमी के लिए और भी अधिक समझ से परे हो गया। संसद ने आयकर अधिनियम पारित किया, जो 1 अप्रैल 1962 को लागू हुआ। तब से इसमें कई संशोधन किए गए, जिससे यह और भी जटिल होता गया। अब इसके सरलीकरण की प्रक्रिया के तहत सरकार को एक नया आयकर विधेयक बनाने की जरूरत महसूस हुई, ताकि लोग इसे आसानी से समझ सकें। सूत्रों की मानें तो लोगों को यह भी डर है कि नए आयकर नियमों के लागू होने के बाद सरकार पुरानी कर व्यवस्था को खत्म कर देगी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार के पास अभी ऐसी कोई योजना नहीं है। सरकार के मुताबिक करीब 78 फीसदी करदाता नई कर व्यवस्था में शिफ्ट हो चुके हैं।
फिर भी सूत्रों के मुताबिक सरकार पुरानी कर व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव करने के मूड में नहीं है। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो सरकार निवेश के लिए सरकारी योजनाओं पर लोगों की निर्भरता कम करने की भी कोशिश कर रही है, ताकि लोग म्यूचुअल फंड और एसआईपी से लेकर शेयर बाजार तक दूसरी संपत्तियों में ज्यादा निवेश करें, जो लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही करदाताओं को इतनी बड़ी राहत देने के पीछे सरकार की मंशा निजी खपत को बढ़ाना है जिसका सीधा फायदा अर्थव्यवस्था की सेहत को मिलेगा।