सरकार खेती-बाड़ी को लाभकारी बनाने के लिए कर रही है काम: राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि सरकार खेती-बाड़ी को लाभकारी बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। इसके लिए लागत में कमी लाने और लाभ को अधिकतम करने के उपाय किये जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने पहली बार 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को देश की कृषि नीति और योजनाओं में प्रमुखता दी है।

उन्होंने कहा, ”सरकार का लक्ष्य खेती-बाड़ी की लागत में कमी लाकर लाभ को अधिकतम करने के साथ इसे लाभकारी बनाना है और इस दिशा में काम जारी है।”

कृषि क्षेत्र में उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि पिछले 10 साल में लगभग 18 लाख करोड़ रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में धान और गेहूं की खेती करने वाले किसानों को मिले हैं। यह 2014 से पहले के 10 साल की तुलना में ढाई गुना अधिक है।

उन्होंने तिलहन और दलहन फसलों के बारे में कहा कि पहले इसकी सरकारी खरीद नहीं के बराबर थी। पिछले दशक में तिलहन और दलहन की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में सवा लाख करोड़ रुपये मिले हैं।

मुर्मू ने कहा, ”सरकार ने पहली बार देश में कृषि निर्यात नीति बनाई है। इससे कृषि निर्यात चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।”

उन्होंने कहा कि किसानों को सस्ती खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिऐ 10 साल में 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं।

मुर्मू ने कहा, ”सरकार ने पौने दो लाख से ज्यादा प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं। अभी तक लगभग आठ हजार किसान उत्पादक संघ (एफपीओ) बनाए जा चुके हैं।”

उन्होंने कहा, ”सरकार कृषि में सहकारिता को बढ़ावा दे रही है। इसलिए, देश में पहली बार सहकारिता मंत्रालय बनाया गया।

सहकारी क्षेत्र में, दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की गई है। जिन गांवों में सहकारी समितियां नहीं हैं, वहां दो लाख समितियां बनाई जा रही हैं।”

मत्स्य पालन का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा, ”मत्स्य-पालन क्षेत्र में 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके कारण मत्स्य उत्पादन पिछले 10 साल में 95 लाख टन से बढ़कर 175 लाख टन यानी लगभग दोगुना हो गया है।”

उन्होंने कहा, ”मत्स्य-पालन क्षेत्र में निर्यात भी 30 हजार करोड़ रुपये से बढकर 64 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।”

राष्ट्रपति ने कहा कि देश में पहली बार पशुपालकों और मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया गया है।

सरकार ने पहली बार 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को भी देश की कृषि नीति और योजनाओं में प्रमुखता दी है।

पीएम-किसान सम्मान निधि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अबतक दो लाख 80 हजार करोड़ रुपये किसानों को मिल चुके हैं। साथ ही 10 साल में किसानों के लिए बैंक से आसान कर्ज में तीन गुना वृद्धि की गई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों ने 30 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भरा है। इसके बदले उन्हें डेढ़ लाख करोड़ रुपये का दावा मिला है।

उन्होंने कहा, ”पिछले दशक में, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 40 प्रतिशत बढ़ी है। पशुओं को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से बचाने के लिए पहली बार मुफ्त टीकाकरण अभियान चल रहा है। अबतक, चार चरणों में, 50 करोड़ से ज्यादा टीके, पशुओं को दिए जा चुके हैं।”

– एजेंसी