बुनकरों, बुनकर परिवारों की मदद कर रही है सरकार: निर्मला सीतारमण

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): कपड़ा मंत्रालय बुनकरों को उनके उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक पहचान संबंधी जीआई टैग और उन्हें मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) शामिल करने की दिशा में काम कर रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि यह बात एक मजबूत संदेश देती है कि केंद्र सरकार हमारे बुनकरों और उनके परिवारों का समर्थन कर रही है।

श्रीमती सीतारमण राजधानी में विशेष बुनाई-आधारित हथकरघा साड़ी महोत्सव ‘माई साड़ी माई प्राइड’ का उद्घाटन कर रही थीं। यह आयोजन आजादी के अमृतमहोत्सव कार्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय ने देश के बुनकरों और भारत की परंपरा को प्रदर्शित करने वाले मध्य दिल्ली में इस तरह का आयोजन कर अनूठा कदम उठाया है। मंत्रालय ने हाथ से बुनी 75 साड़ियां मंगवाई हैं, जिन्हें यहां प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014-2015 में पांच एफ का विजन दिया, फार्म से फाइबर, फैब्रिक से फैशन और विदेश तक। यह विजन कपड़ा मंत्रालय का एक प्रमुख उद्देश्य बन गया है जिसके तहत इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है और बुनकरों को उनके काम को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

स्वतंत्रता के 75 वर्षों के अवसर पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 75 हथकरघा बुनकरों द्वारा हथकरघा साड़ियों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री की जाएगी। यह उत्सव राजधानी में हथकरघा हाट में 16 से 30 दिसंबर 2022 और 3 जनवरी से 17 जनवरी 2023 तक दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है।

कपड़ा मंत्रालय ने कहा है कि भारत का हथकरघा क्षेत्र 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। हथकरघा साड़ी बुनाई की कला में पारंपरिक मूल्य जुड़े हुए हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट साड़ियों की बुनाई होती हैं। पैठणी, कोटपाड, कोटा डोरिया, तंगेल, पोचमपल्ली, कांचीपुरम, तिरुबुवनम, जामदानी, शांतिपुरी, चंदेरी, माहेश्वरी, पटोला, मोइरांगफी, बनारसी ब्रोकेड, तनचोई, भागलपुरी सिल्क, बावनबूटी और पश्मीना आदि साड़ियों की विशिष्टता विख्यात है।

-एजेंसी/वार्ता

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