आपने देखा होगा कि कुछ लोग बार-बार एक शब्द को दोहराते हैं या उन्हें बोलने में कठिनाई होती है। इसे हकलाना कहते हैं। हकलाना एक ऐसी स्थिति है जब बोलने के लिए उपयोग होने वाली मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं करतीं और बोलते समय रुकावट, आवाज में अटकाव, या शब्दों के दोहराए जाने का कारण बनती हैं। यह समस्या आमतौर पर बच्चों में पाई जाती है, लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति में यह हो सकती है। आइए जानते हैं इसके कारण और इससे बचाव के तरीके।
हकलाहट के कारण
हकलाने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारण शामिल हैं।
मस्तिष्क कार्यप्रणाली
होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉक्टर हेमंत श्रीवास्तव के अनुसार, मस्तिष्क के वाणी केंद्र में गड़बड़ी, नर्व सिस्टम का सही से विकास न होना, और अनुवांशिकता हकलाने के कारण हो सकते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के सदस्य हकलाते हैं, उनमें इस समस्या का खतरा अधिक होता है।
मनोवैज्ञानिक कारण
अत्यधिक तनाव, डर, आत्मविश्वास की कमी और मानसिक असंतुलन भी हकलाने का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों में बोलने की जल्दी करने की आदत भी हकलाने का कारण बन सकती है।
पर्यावरणीय कारण
बच्चों पर पढ़ाई या बोलचाल का अत्यधिक दबाव, घर या स्कूल में डर का माहौल, या दूसरों द्वारा हंसी उड़ाना और मजाक करना भी हकलाहट का कारण हो सकते हैं।
हकलाहट के प्रभाव
हकलाहट से केवल बोलने में ही परेशानी नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति को मानसिक रूप से भी प्रभावित कर सकती है। इसके कारण व्यक्ति में निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
आत्म-विश्वास की कमी
लोगों से बातचीत से बचना
नौकरी, पढ़ाई, और रिश्ते बनाने में डर
मानसिक तनाव, डिप्रेशन, और हीनभावना का अनुभव
हकलाहट के प्रकार
ध्वनि या शब्दों को दोहराना
ध्वनि में खिंचाव आना
बोलने में रुकावट या वाणीदोष (जिसमें व्यक्ति कुछ बोल नहीं पाता)
इलाज और समाधान
हकलाहट का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन नियमित अभ्यास, चिकित्सा, और सही समर्थन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
स्पीच थैरेपी
एक पेशेवर स्पीच थैरेपिस्ट से बोलने की गति और उच्चारण पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
मनोचिकित्सा
चिंता और डर को कम करने के लिए थेरेपी की मदद ली जा सकती है। इस प्रक्रिया में आत्म-विश्वास बढ़ाने के अभ्यास भी करवाए जाते हैं।
होम रेमेडी
शीशे के सामने बोलने का अभ्यास करें
ग्रुप एक्टिविटी में हिस्सा लें
सकारात्मक सोच अपनाएं
धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करें
तनाव कम करने के उपायों को अपनाएं
फैमिली का रोल
डॉक्टरों का कहना है कि हकलाहट कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि यह एक चुनौती है। इसे समझदारी, सही मार्गदर्शन और अभ्यास से पार किया जा सकता है। परिवार के सदस्य, विशेषकर माता-पिता, प्रभावित व्यक्ति की मदद कर सकते हैं और उसे इस समस्या से बाहर निकालने में सहारा दे सकते हैं।
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