स्किन में इन्फेक्शन की वजह से दाद होता है. कुछ लोगों का मानना है कि दाद ‘बुरे कर्म’ या ‘काले जादू’ की वजह से होता है. वास्तव में, शिंगल्स एक वायरल संक्रमण है और इसका सही समय इलाज किया जाए तो य़ह सही भी हो जाता है. जिस किसी को चिकनपॉक्स हुआ है, वह दाद के संक्रमण की चपेट में आ सकता है. इस स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है. दाद उसी वायरस के कारण होता है जो चिकनपॉक्स का कारण बनता है. वैरिकाला जोस्टर वायरस के रूप में जाना जाने वाला यह वायरस चिकनपॉक्स के हमले के बाद शरीर की नसों में रहता है.
दाद के सामान्य लक्षण दाने होना औऱ उनमें खुजली होना हैं, साथ ही यह फैलता भी है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी इम्यूनिटी भी कम होती जाती है और यह प्रक्रिया आमतौर पर 50 साल की उम्र में शुरू होती है. अधिक से अधिक लोग 50 साल की उम्र से अधिक जीवित रहते हैं. इन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उनमें दाद होने का खतरा अधिक होता है.
दाद के रोगियों को दर्द के लिए कई दवाएं लेनी पड़ती हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से राहत नहीं मिल पाती है. इसका पहला संकेत शरीर में किसी भी जगह एक सर्कल के पैच में बदल जाती है. इस पैच में छोटे-छोटे दाने होते हैं जिसमें खुजली होती रहती है. कई बार तो इतनी खुजली होती है कि सहन नही होती हैं. इसका इलाज जितना जल्दी कर लिया जाए उतना बेहतर होता है. यह बीमारी अक्सर त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से फैलती है.
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