लखनऊ (एजेंसी/वार्ता): विश्व रैंकिंग में शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल प्रख्यात पादप रोग वैज्ञानिक डॉ. रसप्पा विश्वनाथन ने शुक्रवार को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) लखनऊ के निदेशक पद का कार्यभार ग्रहण किया।
आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि निदेशक पद ग्रहण करने से पूर्व डॉ. विश्वनाथन गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर (तमिलनाडु) में फसल सुरक्षा विभाग में अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। इनको 31 वर्षों का शोध एवं शिक्षण कार्यों को अनुभव रहा है। गन्ना में उत्कृष्ट शोध करते हुए 14 लाल सड़न प्रतिरोधी गन्ना किस्मों को चयनित किया, गन्ना रोग प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक रणनीति विकसित किए तथा आणविक पौधा रोग प्रयोगशाला को कोयंबटूर के संस्थान में स्थापित किया।
डा विश्वनाथन द्वारा विकसित प्रोटोकाल के प्रयोग से देश भर में उन्नत गन्ना किस्मों का विकास संभव हो पाया तथा लंबे समय तक रोग से प्रभावित हुए बिना उन किस्मों की खेती संभव हो पाया। परिणामस्वरूप आज देश में लगभग 500 मिलियन टन गन्ना तथा 35.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन हो रहा है।
लाल सड़न जो कि गन्ना का कैंसर के रूप में जाना जाता है, के प्रबंधन में अभूतपूर्व योगदान देते हुए इस रोग के दो पैथोटाइप सीएफ12 और सीएफ13 का पहचान किया, टिशू कल्चर उद्योग के लिए वायरस इंडेक्सिंग सेवा का व्यवसायीकरण, गन्ना फसल में कृषि निवेशों का सटीक प्रयोग तथा लाल सड़न रोग के प्रबंधन के लिए गन्ना बीज शोधन यंत्र का विकास किया।
गन्ना शोध में अभूतपूर्व योगदान के लिए डा विश्वनाथन को वर्ष 2016 में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान एकादमी के फेलो पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनको राष्ट्रीय स्तर के 15 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उच्च कोटी के विभिन्न शोध पत्रिकाओं में 275 से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन डॉ. विश्वनाथन द्वारा किया जा चुका है।
डॉ. विश्वनाथन के गन्ना शोध में लंबे अनुभव का लाभ उत्तर प्रदेश सहित अन्य उत्तर भारतीय राज्यों को गन्ने के कैंसर के रूप में वृहत स्तर पर फैले हुए लाल सड़न रोग को नियंत्रित करने में सहायता प्राप्त होगा। जिससे लाखों किसानों तथा आर्थिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण गन्ना व चीनी उद्योग को लाभ मिलने की संभावना है।
-एजेंसी/वार्ता
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