क्या सच में डायबिटीज की जड़ पर वार करता है ‘पनीर का फूल’…जानिए

पनीर की सब्जी तो आपने खूब खाई है लेकिन क्या आपने कभी पनीर के फूल का स्वाद लिया है. अब आप सोच रहे होंगे कि पनीर तो एक डेयरी प्रोडक्ट है इसमें फूल कहां से आएगा… तो कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं है हम जड़ी बूटी वाले पनीर के फूल की बात कर रहे हैं. इसे पनीर डोडा के रूप में भी जाना जाता है. पनीर के फूल भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में पाए जाते हैं जो अपने औषधीय गुणों कारण काफी पॉपुलर हैं. डायबिटीज रोगियों के लिए तो ये किसी रामबाण से कम नहीं है. इसके अलावा पनीर के फूल से और भी कई समस्याओं में फायदा मिल सकता है.

पनीर का फूल डायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायक होता है. चूहों पर किए गए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है शोध में पता चला है कि पनीर के फूल के अर्थ में anti-diabetic गुण मौजूद होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में बड़ी भूमिका निभाता है. ये फूल पैंक्रियाज की बीटा सेल्स को सही करने और इन्सुलिंस का बेहतर उपयोग करने में हेल्प करते हैं. आपको बता दें कि बीटा सेल्स हमारे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करते हैं. जब व्यक्ति को डायबिटीज होता है तो बीटा सेल्स डैमेज हो जाते हैं और इस तरह से इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता.

भागदौड़ भरी जिंदगी में थकने के बाद भी रात को नींद नहीं आती है तो पनीर के फूलों का सेवन करना चाहिए.इससे आप अनिद्रा से छुटकारा पा सकते हैं.

अगर आप वजन तेजी से कम करना चाहते हैं तो अपने डाइट में पनीर का फूल जरूर शामिल करें. इससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है. स्टडी की माने तो पनीर के फूल के अर्क में anti-obesity वाला प्रभाव पाया जाता है. ये वजन नियंत्रित करने में लाभकारी हो सकता है.

अल्जाइमर की समस्या में भी पनीर के फूल से फायदा मिल सकता है. दरअसल पनीर के फूल के अर्क में न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव मौजूद होते हैं जाए जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है.

लीवर की बीमारियाँ या समस्याएँ आनुवंशिक कारणों से या लीवर को नुकसान पहुँचाने वाले विभिन्न कारकों के परिणामस्वरूप हो सकती हैं, जैसे वायरस, अधिक शराब का सेवन और मोटापा. पनीर डोडी का उपयोग क्रोनिक लीवर की शिकायतों में किया जाता है. यह एक हर्बल औषधि है जो लीवर की समस्याओं में मदद कर सकती है. क्योंकि इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं.

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