देसी घी में बने खाने का स्वाद लाजवाब होता है और इसकी महक मदहोश करने वाली होती है. लेकिन सिर्फ स्वाद (How to enhance food taste) और महक के लिए ही नहीं बल्कि देसी घी में बने भोजन के गुणों के आधार पर इसे बेस्ट माना जाता है (Best oil for cooking). आज हमारे पास कई तरह की टेक्नीक्स और लैब इत्यादि हैं, जहां हम फूड क्वालिटी (How to cook quality food) और बेस्ट कुकिंग ऑइल जैसी चीजों की जांच कर सकते हैं. लेकिन पुराने समय में तो तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, फिर भी हमारे पूर्वजों को पता था कि देसी घी में बना भोजन हेल्थ के लिए बेस्ट होता है.
अब आपके मन में यह विचार आ सकता है कि पहले तो होता ही देसी घी था, इसलिए इसी में खाना बनाते थे! अगर आप ऐसा सोच रहे तो यह बात पूरी तरह सच नहीं है. क्योंकि आज हमारे पास कुकिंग करने के लिए जितनी वैरायटी के ऑइल्स का विकल्प है, ये ऑइल होते पुराने समय में भी थे हालांकि ये हर जगह इतनी आसानी से मिलते नहीं थे, जैसे कि आज मिल जाते हैं. लेकिन उत्तर भारत में सरसों और तिल का तेल जबकि दक्षिण भारत में नारियल का तेल हमेशा से उपलब्ध रहने वाले कुकिंग ऑइल हैं. लेकिन फिर भी देसी घी में बने खाने को श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसा क्यों है, इसकी वैज्ञानिक वजह जानते हैं…
भारतीय रसोई के लिए क्यों बेस्ट है देसी घी?
भारत में जिस तरह से भोजन पकाया जाता है, ऐसा ट्रेंड दुनिया में कम ही जगह देखने को मिलता है. जैसे, हमारे यहां भोजन को तेज आंच पर पकाने का चलन है और हम लगभग सभी सब्जियां और दाल तड़का लगाकर बनाते हैं.
तड़का लगाने के लिए कुकिंग ऑइल को तेज आंच पर कुछ मिनट के लिए गर्म किया जाता है. इस प्रक्रिया में ज्यादातर तेलों के अंदर रासायनिक क्रिया (chemical reaction) होती है और तेल कई तरह के अव्यवों में टूट जाता है. जाहिर है यह सब हमें आंखों से नहीं दिखाई देता लेकिन इससे तेल के पोषण संबंधी गुणों में कमी आती है.
साथ ही तेज आंच पर तेल गर्म करने के दौरान तेल में फ्री रेडिकल्स का निर्माण होता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. फ्री रेडिकल्स वे मुक्त कण होते हैं, जो शरीर की अंदरूनी कोशिकाओं को डैमेज करते हैं. फ्री रेडिकल्स ही ज्यादातर बीमारियों के होने का कारण हैं और कई स्थितियों में कैंसर की वजह भी बनते हैं.
देसी घी में खाना बनाने का क्या फायदा है?
देसी घी में खाना बनाने का सबसे अधिक फायदा यह है कि तेज आंच पर गर्म करने के बाद भी इसके रासायनिक बॉन्ड में कोई खास बदलाव नहीं होता है. साथ ही तेज हीट के कारण इसमें फ्री रेडिकल्स का निर्माण नहीं होता है. यही वजह है कि देसी घी में बनाए गए भोजन को भारत में सबसे अधिक पौष्टिक माना जाता है.
देसी घी में पाया जाने वाला अनसैचुरेटेड फैट मसल्स और बोन्स को हेल्दी बनाने का काम करता है. यदि सही मात्रा में यानी हर दिन दो से तीन चम्मच देसी घी का सेवन भोजन के साथ, दूध में डलाकर या फिर कॉफी में डालकर किया जाए तो बॉडी का एनर्जी लेवल प्राकृतिक तौर पर हाई रहता है. दूध और कॉफी में डालकर देसी घी का सेवन करने से मानसिक थकान भी हावी नहीं होती है.
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