क्या ओरल सनस्क्रीन पिल्स सच में हमारी त्वचा को यूवी रेज से बचाती हैं

सूरज की हानिकारक किरणों से खुद को बचाने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग बेहद जरूरी है। आमतौर पर सनस्क्रीन क्रीम, लोशन और जेल के रूप में उपलब्ध होते हैं, लेकिन अब मार्केट में ओरल सनस्क्रीन पिल्स भी उपलब्ध हैं। ये पिल्स काफी लोकप्रिय हो चुकी हैं, और इनमें आमतौर पर एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे एस्थैक्सांथिन और पॉलिफेनोल्स होते हैं, जो त्वचा को यूवी किरणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या ये पिल्स शरीर को पूरी तरह से यूवी रेज से बचा पाती हैं? आइए जानते हैं इस बारे में विशेषज्ञों की राय।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टर बताते हैं कि ओरल सनस्क्रीन पिल्स में आमतौर पर निकोटिनामाइड (विटामिन बी3) और पॉलीपोडियम ल्यूकोटोमॉस फर्न एक्सट्रैक्ट जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को आंतरिक रूप से यूवी रेज से सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि, इनका असर सीधे तौर पर त्वचा पर दिखाई नहीं देता है। डॉक्टरों का कहना है कि इन पिल्स का सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF) केवल 3-5 के आसपास होता है, जबकि हमें कम से कम SPF 30 वाले सनस्क्रीन का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

क्यों ज्यादा असरदार नहीं हैं ये गोलियां?
डॉक्टर का मानना है कि यह गोलियां मेलेनोमा (स्किन कैंसर) जैसे गंभीर रोगों से बचाव में मदद कर सकती हैं, क्योंकि ये यूवी रेज के प्रभाव को कम करती हैं। हालांकि, सनबर्न और टैनिंग के लिहाज से इन गोलियों का असर उतना प्रभावी नहीं हो सकता है। डॉ. कपूर कहते हैं कि अच्छी तरह से लगाया गया सनस्क्रीन, धूप से बचाव के कपड़े, छांव में रहना और धूप से बचाव जैसी सावधानियां गोलियों से अधिक प्रभावी होती हैं।

टॉपिकल सनस्क्रीन क्रीम के फायदे
क्रीम या लोशन का उपयोग बाहरी स्तर पर किया जाता है और ये त्वचा की सतह पर यूवी रेज के प्रभाव को तुरंत कम करते हैं। इन्हें हर 2-3 घंटे में दोबारा लगाना जरूरी होता है, ताकि त्वचा की सुरक्षा बनी रहे। वहीं, ओरल पिल्स बाहरी यूवी रेज से होने वाले नुकसान को पूरी तरह से नहीं रोक पाती हैं।

गोलियां किसके लिए सही?
डॉक्टर के अनुसार, वे लोग जो स्किन प्रॉब्लम्स जैसे एग्जिमा, ल्यूपस या स्किन कैंसर जैसी बीमारियों के रिस्क में हैं, उनके लिए ओरल सनस्क्रीन पिल्स फायदेमंद हो सकती हैं। इन पिल्स से उन्हें आंतरिक सुरक्षा मिलती है, लेकिन इनका अधिक सेवन गैस्ट्रिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

यह भी पढ़ें:

बच्चों में डायबिटीज: क्यों बढ़ रही है यह बीमारी और कैसे करें बचाव