वायुसेना उप प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने शुक्रवार को कहा कि एक राष्ट्र को ”औद्योगिक रूप से मजबूत” बनना है और रक्षा क्षेत्र में, विशेष रूप से एयरोस्पेस के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता जरूरी है।
यहां आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने यह बात कही। उनके अनुसार, यह देखा जा रहा है कि दुनिया में हमारे आसपास हो रहे ”दो युद्धों” के बाद ”आत्मनिर्भरता” और अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।
दिल्ली छावनी के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इस सम्मेलन का शीर्षक ”एनर्जाइजिंग इंडियन एयरोस्पेस इंडस्ट्री : आत्मनिर्भर भारत के लिए चुनौतियाँ” है। सम्मेलन में भारतीय वायु सेना के कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी और रक्षा उद्योग संबंधी विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
एयर मार्शल दीक्षित ने कहा, ”हर देश आत्मनिर्भर बनना चाहता है। और हम देख रहे हैं कि…दुनिया में हमारे आसपास हो रहे इन दो युद्धों के बाद, यह और अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है।”
उनकी टिप्पणी रूस-यूक्रेन संघर्ष और इज़राइल-हमास संघर्ष की पृष्ठभूमि में आई है।
उन्होंने भारतीय वायुसेना में ”आत्मनिर्भरता” की आवश्यकता और वर्तमान में बल के आगे बढ़ने की राह में आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया।
वायुसेना उप प्रमुख ने कहा, ”हमें औद्योगिक रूप से मजबूत बनना होगा, रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता की आवश्यकता है, खासकर एयरोस्पेस क्षेत्र में।”
उन्होंने 1950 के दशक में भारत में भारतीय वायुसेना के विमानों के निर्माण और बाद के दशकों में इस क्षेत्र में बल की यात्रा के ऐतिहासिक पहलू को भी साझा किया।
उन्होंने कहा, ”आज, स्थिति ऐसी हो गई है कि अगर कोई उपयोगकर्ता आगे नहीं आता है और ‘आत्मनिर्भरता’ को आगे नहीं बढ़ाता है, तो मुझे नहीं लगता कि यह सफल होने जा रहा है।”
सम्मेलन के सह आयोजक ”सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स” (एसआईडीएम) और ”एयर फोर्स थिंक-टैंक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज” (सीएपीएस) हैं।
– एजेंसी