नेट जीरो इंडिया के लक्ष्य को 2070 तक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है नागरिक सहयोग : जावड़ेकर

सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि 2070 तक प्रधानमंत्री के नेट ज़ीरो इंडिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नागरिक कार्रवाई महत्वपूर्ण है।

जावड़ेकर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में “यू75: नेशनल मूवमेंट ऑफ नेट-जीरो यूनिवर्सिटी कैंपस” कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में व्यस्तता के चलते वह इस कार्यक्रम में भौतिक रूप से उपस्थित नहीं हो सके।

जावड़ेकर ने कहा कि यू-75 अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसर नेट जीरो या कार्बन न्यूट्रल बन जाएं। यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल कैम्पस को कार्बन तटस्थ बनाएगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘लाइफ’ मिशन के अनुरूप विद्यार्थियों को पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली का महत्व भी बताएगी। उन्होंने कहा कि यह ‘कार्यरत भावी पीढ़ी’ होगी। इस सार्वजनिक आंदोलन को खड़ा करने के लिए विश्वविद्यालयों, कॉलेज प्रशासन, विद्यार्थियों और गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं।

उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन का कारण नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का भुक्तभोगी है। कार्बन उत्सर्जन में हमारा ऐतिहासिक योगदान मात्र 3 प्रतिशत है जबकि वैश्विक आबादी का 17 प्रतिशत हमारे पास है। जावड़ेकर ने कहा कि भारत अपनी हरित प्रतिबद्धताओं पर ‘वॉक द टॉक’ करने वाला एकमात्र जी-20 देश है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वर्तमान में यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज पूरा एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो चुका है। करीब चार करोड़ लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि वायुमंडल के औसत तापमान में 1.2 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। यह चिंता का विषय है। ऐसे में चार शब्द रिड्यूस, रीयूज, रिपेयर और रीसाइकल बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

नेट-ज़ीरो यूनिवर्सिटी कैंपस पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि “नेट जीरो यूनिवर्सिटी कैंपस” एक परिवर्तनकारी आंदोलन है जो एनईपी 2020 और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिशन लाइफ के साथ संरेखित है तथा भारत में 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने का आह्वान करता है। कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके सभी कॉलेजों को भी ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज कैम्पस बनाना होगा तभी नेट ज़ीरो कैम्पस को और आगे बढ़ाया जा सकता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व यूएसजी एरिक सोल्हेम, ने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंची एआईसीटीई की सलाहकार ममता अग्रवाल ने बताया कि इस मुहिम को लेकर एआईसीटीई का ग्रीन टेरे फाउंडेशन के साथ एमओयू हुआ है। इस मुहिम में 100 से अधिक संस्थाओं ने अभी तक अपनी सहमति दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि हमें क्लास रूम से हर डेस्क तक और हर बच्चे तक इसे लेकर जाना होगा।

ग्रीन टेरे फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक व यूएनईपी के पूर्व निदेशक डॉ. राजेंद्र शेंडे ने नेट-जीरो यूनिवर्सिटी कैंपस कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कार्यशाला के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह एक डाउन टू अर्थ वर्कशॉप है। उन्होंने इस मुहिम को विद्यार्थियों से जोड़ने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि 18 से 24 वर्ष आयु की आबादी इस मुहिम में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

– एजेंसी