दौसा (एजेंसी/वार्ता): कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर चीन मुद्दे पर कोई जवाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि इस मामले को लेकर संसद में चर्चा कराकर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दौसा जिले के सिंकदरा में पूर्वाह्न ग्यारह बजे कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश और कांग्रेस के मीडिया तथा पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा ने चीन मुद्दे पर ‘प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो, भारत जोड़ो’ विषय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह मांग की।
रमेश ने कहा कि वक्त आ गया है कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा हो, प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए और विपक्ष से बात करनी चाहिए। इसमें हम कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं। हमें एक सामूहिक संकल्प बनाना है। उन्होंने कहा कि आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि हम चीन से सीमा पर कैसे निपटें। लेकिन यह तभी संभव होगा जब सभी पार्टी एक आवाज में बोलें।
इसके लिए प्रधानमंत्री को सब से बात करनी होगी, सभी को विश्वास में लेना चाहिए, क्योंकि जानकारी तो उन्हीं के पास है। पंडित नेहरू से लेकर श्री देवगौड़ा और कई प्रधानमंत्रियों ने चीन को लेकर संसद में जवाब दिया है। श्रीमती इंदिरा गांधी से लेकर श्री राजीव गांधी सभी ने चीन को लेकर चर्चा में भाग लिया है लेकिन यह पहले प्रधानमंत्री हैं जो चीन पर चर्चा से भागते हैं,बहस नहीं होने देते, यहां तक कि चीन शब्द भी उनके मुंह से नहीं निकलता है।
खेड़ा ने कहा कि आज देश, परेशान, आक्रोशित और हैरान है कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री चीन के मामले पर कोई जवाब देने को तैयार नहीं हैं। क्यों चीन पर संसद में चर्चा को तैयार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और चीन के 20 वर्षों से घनिष्ठ संबंध हैं, जब प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री थे और चीन के राष्ट्रपति, राष्ट्रपति नहीं थे,एक आला पद पर थे, तब से ही उन दोनों के बीच का जो रिश्ता है उन्हीं रिश्तो में एक राज छुपा है। उसी वजह से प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी नहीं तोड़ते हैं। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री पर किसका दबाव था। क्या चीन का दबाव था। आप अपनी ही सेना को कमजोर करने पर क्यों तुले हैं।क्या दबाव है आप पर चीन का।
खेड़ा ने कहा कि हमें याद है कि जब हमारी सरकार थी तब भी आरएसएस चीन में अपना प्रतिनिधि मंडल भेजता था। वहां 15-15 दिन, एक-एक महीने की बैठकें चलती थी। यह एक गैर राजनीतिक संगठन है, सांस्कृतिक संगठन है, इसका क्या मतलब था चीन के साथ बातचीत करने का। 2014 में भाजपा के 13 नेता चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ‘पार्टी स्कूल’ में ट्रेनिंग लेने गए थे। चीन से भाजपा के नेता कौन सी शिक्षा लेने जाते हैं कि आने के बाद माउंटेन स्ट्राइक कोर को रोक दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से जुड़ा एक फाउंडेशन है, विवेकानंद फाउंडेशन।
उसके क्या रिश्ते हैं चीन से। प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़िए, देश को बताइए। एक और फाउंडेशन है, इंडिया फाउंडेशन। आरएसएस के काफी लोग इससे जुड़े हैं। यह फाउंडेशन बार-बार चीन क्यों जाता है। उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि देश के विदेश मंत्री के पुत्र जिस फाउंडेशन के एक यूनिट को हेड करते हैं, चीनी दूतावास से उसे एक-दो बार नहीं तीन-तीन बार पैसे मिले हैं। एक बार तो हाल में ही मिला है।
खेड़ा ने कहा कि जब हम उनसे पूछते हैं कि अचानक चीन बॉर्डर पर इतना सक्रिय क्यों हो गया है। तब भाजपा का जवाब होता है कि हमने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करना शुरू कर दिया है इसलिए वह बौखलाए हुए हैं। रमेश ने कहा कि एक प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे जिन्होंने यूनियन टेरिटरी को राज्य का दर्जा दिया और अलग राज्य बनाया, अरुणाचल प्रदेश। एक हमारे आज के प्रधानमंत्री हैं जो एक राज्य को डाउनग्रेड करके यूनियन टेरिटरी बना देते हैं, जम्मू कश्मीर का उदाहरण। राजीव गांधी दिसंबर 1988 में चीन गए। वहां के नेतृत्व के साथ उनकी बातचीत हुई और हमारे संबंध मजबूत हुए। लेकिन राजीव गांधी तभी चीन गए थे जब सीमा पर हमारी स्थिति मजबूत थी और हमें सफलता हासिल हुई।
उन्होंने श्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजीव गांधी ने चीनी नेतृत्व से सिर्फ एक बार बात की थी, 18 बार नहीं, दिसंबर 1988 के बाद चीन के साथ हमारे संबंध मजबूत होते गए। उसके बाद के वर्षों में हमारे कई प्रधानमंत्रियों ने चीन के साथ महत्त्वपूर्ण समझौते किए। लेकिन अप्रैल 2020 के बाद एक नया चैप्टर आरंभ हुआ। उसके पहले जो कुछ हुआ, चीन भूल गया। उसने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को अपने हिसाब से बदल दिया। हमारी भूमि पर कब्जा करके बैठा है और प्रधानमंत्री ने चीन को क्लीन चिट दे दिया। कह दिया कि ना कोई हमारी सीमा में घुसा है, ना घुसा हुआ है। प्रधानमंत्री के इस बयान के कारण हमारा बारगेनिंग पोजीशन कमजोर हुआ है।
-एजेंसी/वार्ता
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