कीमत की रिपोर्टिंग के लिए केंद्र ने 2022 में 57 केंद्र जोड़े

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): वर्ष 2022 में अधिकतर समय ऊंची मुद्रास्फीति के दबाव के बीच केंद्र सरकार ने देश भर में मूल्य निगरानी तंत्र को मजबूत करने से लेकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उल्लंघनकर्ताओं पर शिकंजा कसने तक कई ठोस कदम उठाए।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने समाप्त हो रहे वर्ष 2022 के दौरान अपने नेटवर्क में और 57 मूल्य रिपोर्टिंग केंद्र जोड़े गए। इस तरह ऐसे केंद्रों की संख्या 122 से बढ़कर अब तक 179 हो गई है।

वर्ष के दौरान खास कर कोविड के कारण आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं बने रहने और वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता से जिंस बाजार के प्रभावित होने के चलते खुदरा और थोक मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई थी। नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई जो अक्टूबर में 6.77 प्रतिशत थी। नवंबर में थोक मुद्रास्फीति भी 5.85 प्रतिशत पर आ गयी।

विभाग का मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ बाइस आवश्यक वस्तुओं (चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, तूर (अरहर) दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, ताड़ का तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक) के थोक और खुदरा मूल्यों की निगरानी करता है। ये कीमतें मोबाइल एप के जरिए जुटाई जाती हैं।

मंत्रालय ने मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ के सुदृढ़ीकरण के लिए योजना के परिचालन दिशानिर्देश अगस्त 2021 को जारी किए गए थे। मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2022 के मूल्य निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1.47 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है।

सरकार ने पिछले वर्ष पहली जनवरी से बाजार मूल्य की रिपोर्टिंग के लिए मोबाइल ऐप चालू हो गया है। सभी मूल्य संग्रह केंद्रों को मोबाइल ऐप के माध्यम से दैनिक मूल्य रिपोर्टिंग में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसके साथ ही मूल्य पूर्वानुमान मॉडल विकसित किया गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस समय विशेष रूप से प्याज, आलू और दालों की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हैं। सरकार ने कृषि-बागवानी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी और अन्य प्रासंगिक व्यय प्रदान करने के लिए एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी गई है। इस उद्देश्य के लिए, एक कोष – “मूल्य स्थिरीकरण कोष” बनाया जा रहा है। इस योजना के तहत 2020-21 के दौरान 12.83 लाख टन दालों की सरकारी खरीदा/आयात किया गया ।

इसी अवधि में पीएसएफ बफर से 4.94 लाख टन दालों का निपटान किया गया है। सरकार ने बाजार हस्तक्षेप के लिए 2.08 लाख टन का प्याज बफर बनाया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 21 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज की पेशकश की गई। वर्ष के दौरान पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी योजनाओं के तहत पीओएस डिवाइस के माध्यम दालों के वितरण, ढुलाई, राशन की दुकाने चालने वालों के के मार्जिन और अतिरिक्त मार्जिन वितरण पर खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को 35.59 करोड़ रुपये जारी किए।

-एजेंसी/वार्ता

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