हिमाचल प्रदेश में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को दावा किया कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित लोगों को जो धनराशि दे रही है उसका एक-एक पैसा केंद्र ने प्रदान किया है।
ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर 4500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद ही कांग्रेस सरकार आपदा प्रभावित लोगों को वित्तीय राहत देने की घोषणा कर पायी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर ने यहां जारी एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री ने झूठ बोला और एक राहत पैकेज तैयार किया और इसे इस तरह से पेश किया जैसे कि यह सारा पैसा राज्य सरकार दे रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि केंद्र ने लगभग 11,000 मकान बनाने के लिए धनराशि जारी की है और आपदा प्रबंधन के लिए 825 करोड़ रुपये भेजे हैं।
ठाकुर ने कहा कि इसके अलावा मुख्य सड़कों के रखरखाव और निर्माण के लिए भी केंद्र से धनराशि मिल रही है। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार के पास सड़कों पर गिरे मलबे को हटाने तक के पैसे नहीं हैं।
आज, केंद्र सरकार द्वारा दिए गए कोष से राष्ट्रीय राजमार्गों और चार लेन की तेजी से मरम्मत की जा रही है।
महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए एक दिन का विधानमंडल सत्र बुला सकती है: जरांगे
छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 27 अक्टूबर (वेब वार्ता)। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार समुदाय को आरक्षण देने के लिए एक दिन का विशेष विधानमंडल सत्र बुला सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर मराठों को आरक्षण देने का तरीका सुझाने के लिए नियुक्त समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है, तो महाराष्ट्र सरकार समुदाय को कोटा नहीं देने की साजिश कर रही है।
जरांगे ने जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराती में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। जरांगे यहीं भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
उन्होंने कहा, ”हमने सरकार को 40 दिन का वक्त दिया है और मराठा आरक्षण पर अपने रुख को साबित करने के लिए जरूरी साक्ष्य पेश किए हैं। अगर उन्होंने इस मुद्दे पर काम कर रही समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया है तो यह मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं देने की साजिश है।”
चालीस वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के नेताओं से अपने अपने घरों में रहने और गांव नहीं आने की अपील की।
जरांगे ने कहा, ”अगर नेता हमें आरक्षण नहीं दे रहे हैं और हमारे गांवों में प्रवेश कर रहे हैं, तो वे वहां कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के लिए आ रहे हैं। इसके बजाय उन्हें विधानसभा में जाकर मराठा आरक्षण के लिए आवाज उठानी चाहिए। सरकार एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाकर आरक्षण दे सकती है।”
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को इन नेताओं को शांतिपूर्वक रोकना चाहिए। उन्होंने लोगों से आत्महत्या नहीं करने और आरक्षण मिलने तक लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा पर तंज कसते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने सवाल किया कि राज्य के शासनाध्यक्षों ने महाराष्ट्र में जारी आरक्षण आंदोलन के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत क्यों नहीं कराया।
जारांगे ने सितंबर में इसी गांव में भूख हड़ताल की थी और मांग की थी कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। 29 अगस्त को शुरू हुआ प्रदर्शन 14 सितंबर को मुख्यमंत्री शिंदे से बातचीत के बाद खत्म कर दिया गया था। उस समय सामाजिक कार्यकर्ता ने आरक्षण देने के लिए सरकार के समक्ष 40 दिन की समय सीमा (24 अक्टूबर तक) निर्धारित की थी।
– एजेंसी