चेन्नई (एजेंसी/वार्ता): तमिलनाडु में 2004 में आज ही के दिन आई सुनामी की 18वीं बरसी पर सोमवार को राज्य के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में एकत्र हुए अपने प्रियजनों को खोने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। चेन्नई से कन्याकुमारी तक तटरेखा के किनारे रहने वाले लोगों ने समुद्र तट पर आज एक मौन जुलूस निकाला और समुद्र में दूध डालकर और फूल पत्तियां छिड़क कर अपने परिजन को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी। साल 2004 में क्रिसमस मनाने के लिए वेलंकन्नी गए कई मछुआरों और आम लोगों की सुनामी की जानलेवा लहरों में मौत हो गई थी।
समुद्र में उठी सुनामी में 8,000 से अधिक लोगों की जान चली गयी थी और सुनामी ने चेन्नई, कुड्डालोर, नागपट्टिनम और कन्याकुमारी के तटीय जिलों को तहस-नहस कर दिया था। मछुआरों की अधिकांश बस्तियों में आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाया गया। कुछ जिलों में मछुआरे पीड़ितों का सम्मान करने के लिए समुद्र से दूरी बनाए रहे। मछुआरों ने कहा, “हालांकि यह त्रासदी 18 वर्ष पूर्व हुई थी, लेकिन यह आज भी हमारी स्मृति में ताजा है जैसे कि यह हादसा आज ही हुआ हो इसलिए हमने आज समुद्र से दूर रहने का फैसला लिया जिससे भविष्य में ऐसी त्रासदी कभी न हो।”
समुद्र तटीय जिलों में राेती बिलखी हुई महिलाओं समेत हजारों लोगों ने इस दुर्घटना में मारे गए लोगों की याद में समुद्र में फूल बिखेरे। कुड्डालोर, कन्याकुमारी, कांचीपुरम और सबसे बुरी तरह प्रभावित नागपट्टिनम से प्राप्त खबरों के अनुसार, पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मारकों पर विशेष प्रार्थना आयोजित किया गया और मोमबत्तियां जलाई गईं। इस अवसर पर मौन जुलूस भी निकाले गए।
चेन्नई शहर में मरीना बीच पर मार्मिक और भावनात्मक दृश्य देखने को मिला वहां लोग, अधिकांश मछुआरे, बरसी मनाने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित हुए।मछुआरे की बस्तियों की महिलाओं ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ समुद्र में दूध डालकर सुनामी के शिकार हुए अपने परिजनों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने समुद्र के किनारे मोमबत्तियां जलाकर और समुद्र में फूलों की बारिश कर उन्हें श्रद्धांजलि दी, महिलाएं अपने परिचित और संबंधियों की मौत का शोक मनाते हुए फूट-फूटकर रो रही थीं। राजनीतिक दलों के नेताओं और व्यापारियों ने मछुआरों के साथ मिलकर पीड़ितों को पुष्पांजलि अर्पित की। मछुआरा समुदाय हालांकि अभी भी सुनामी से दहशत में रहता है, लेकिन चाहता है कि उनके जीवन में कभी भी ऐसी त्रासदी की पुनरावृत्ति न हो।
नागपट्टिनम जिले में लगभग 6,065 लोग मारे गए थे। यहां बड़ी संख्या में मछुआरों, आम लोगों, व्यापारियों और राजनीतिक दल के सदस्यों ने विशाल जुलूस निकाला और अक्कराईपेट्टाई में दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सुनामी के दौरान कई बच्चे अनाथ हो गए थे और कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को खो दिया था।
-एजेंसी/वार्ता
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