क्या मासिक धर्म और मीनोपॉज बढ़ा सकते हैं ओवेरियन कैंसर का खतरा

ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाली एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है। इसका संबंध सिर्फ खानपान और जीवनशैली से नहीं है, बल्कि शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव भी इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं। डॉ. बताती हैं कि महिलाओं को मासिक धर्म, मीनोपॉज, पीसीओएस जैसे बदलावों के दौरान क्यों सतर्क रहना चाहिए।

1. मासिक धर्म की अनियमितता और कैंसर का रिश्ता
मासिक धर्म महिलाओं के प्रजनन चक्र का हिस्सा है, लेकिन यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोनों में उतार-चढ़ाव लाता है।
अगर किसी महिला को बहुत जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाएं या मीनोपॉज देर से हो, तो ओवरी लंबे समय तक हार्मोनल एक्टिविटी में रहती है, जिससे ओवेरियन कोशिकाओं में कैंसरजनित बदलाव आ सकते हैं।

2. देर से मीनोपॉज भी बढ़ा सकता है रिस्क
मीनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति आमतौर पर 45–50 साल की उम्र में होती है। लेकिन यदि यह प्रक्रिया देर से होती है, तो महिला का शरीर लंबे समय तक एस्ट्रोजन के प्रभाव में रहता है, जिससे ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

3. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) से बढ़ सकता है खतरा
कुछ महिलाएं मीनोपॉज के लक्षणों से राहत पाने के लिए HRT का सहारा लेती हैं। लेकिन लंबे समय तक HRT लेने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसीलिए इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें।

4. पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्थितियां भी हैं खतरनाक
पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) हार्मोनल असंतुलन का एक रूप है, जिससे ओवरी में सिस्ट बनते हैं और यह भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की परत बाहर की तरफ बढ़ने लगती है, जिससे ओवरी पर असर पड़ता है और कैंसर का रिस्क बढ़ता है।

5. इन लक्षणों को कभी न करें नजरअंदाज
यदि आपको निम्न लक्षण लंबे समय तक महसूस हों, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें:

बिना कारण वजन घटना

लगातार भूख न लगना

पेट में सूजन या दर्द

पाचन में गड़बड़ी

अनियमित रक्तस्राव

6. रखिए खुद का खास ख्याल
किसी भी हार्मोनल बदलाव को हल्के में न लें।

नियमित गाइनोकोलॉजिकल चेकअप कराएं।

कोई भी हार्मोनल थेरेपी लेने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

संतुलित जीवनशैली, नियमित व्यायाम और पौष्टिक आहार अपनाएं।

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